बिलासपुर: कलेक्टर हर हफ्ते लेते हैं TL बैठक, करते हैं समय-समय पर विभागीय निरीक्षण, बावजूद इसके गायब रहते हैं शासकीय सेवक

बिलासपुर: कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व अधिकारियों ने 24 अगस्त को एक साथ 48 स्कूलों और अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण किया था। स्कूलों और अस्पतालों से बिना अनुमति के गायब रहने वाले और समय से पहले जाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों और शिक्षकों पर जिला प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई की गई है। निरीक्षण के दौरान अस्पतालों और स्कूलों से गायब रहने वाले 70 अधिकारियों-कर्मचारियों सहित शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया है। 30 का एक दिन का वेतन काटने का आदेश जारी किया गया है। 

Table of Contents

मिली जानकारी के अनुसार, एसडीएम और उनकी टीम ने 15 स्कूलों का निरीक्षण किया। स्कूल से नदारद रहने वाले 19 शिक्षकों के वेतन में कटौती की गई है एवं 5 को कारण बताओ सूचना जारी किया गया है। एक के विरूद्ध कार्रवाई के लिए प्रस्ताव संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग को भेजा गया है। राजस्व टीम द्वारा 33 अस्पतालों का निरीक्षण किया गया और 54 अधिकारी-कर्मचारियों को नोटिस जारी करते हुए 11 के एक दिन के वेतन में कटौती का आदेश जारी किया गया है।

सीएमएचओ ने बताया कि बिल्हा विकासखंड के 12 अस्पतालों में अनुपस्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कडार के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, उप स्वास्थ्य केन्द्र पोड़ी के आरएचओ दिनेश साहू, साजिदा खानम, सिलपहरी के  दिलीप कौशिक, सरिता श्रीरंगे, चन्द्रप्रभा साहू, उपस्वास्थ्य केन्द्र करमा की सीएचओ दुर्गा सक्सेना, ढेका अस्पताल की साधना चन्द्रा, संध्या साहू, पौंसरा अस्पताल की सीएचओ प्रीति साहू, शाश्वत पवार, बसहा अस्पताल की सीएचओ त्रिवेणी धीवर, सेन्दरी के पीसी साहू, सुमन रानी मिश्रा, सिद्धी थवाईत और सेमरताल की सीएचओ पूनम कश्यप और आरएचओ सावित्री धु्रव आदि कर्मचारियों को शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। इसी प्रकार मस्तूरी के अस्पतालों से नदारद रहने वाले रिसदा के आरएचओ  राजेश श्रीवास्तव, केड़िया अस्पताल के विजय कुमार गुप्ता, कोकड़ी के आरएचओ संदीप केशरवानी, पीएचसी लोहर्सी के चिकित्सा अधिकारी महेन्द्र मधुकर, संगीता चेलके, ड्रेसर अन्नपूर्णा थवाईत, संगीता चेलक, पचपेड़ी के नेत्र सहायक अधिकारी तारा साहू, के. पदमाराव, बसंती मधुकर, रेखा राय, प्रमिला मरावी, टीकेश्वर साहू, संजय ठाकुर शामिल है। तखतपुर के अस्पतालों से गायब रहने वालों में पाली अस्पताल से तृप्ति शर्मा, लाल दास बंजारा, जय प्रकाश मिश्रा और पीएचसी जूना पारा से सुनील कुमार सुमन के नाम शामिल है। कोटा में पीएचसी केंदा के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विनीता पाण्डेय, डॉक्टर युगविजया मीरा, अरूण देवांगन, आशिष अग्रवाल, सतीश चौहान, सुपरवाईजर संतोष साहू के नाम शामिल है। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गांधीचौक में चिकित्सकों की अनुपस्थिति पाई गई और आयुष्मान आरोग्य मंदिर मंगला में दोपहर 2 बजे ओपीडी बंद होना पाया गया। यहां संबंधित सीएचओ का 1 दिवस के वेतन के कटौती का आदेश जारी हुआ है। इसी प्रकार 2 लोगों को शोकॉज नोटिस जारी किया गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार बिल्हा ब्लॉक के 7 विद्यालयों में निरीक्षण के दौरान गायब रहने वाले शिक्षकों के एक दिन का वेतन काटने का आदेश जारी किया गया है। इनमें शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक शाला सरकण्डा के शिक्षक श्रीमती उषा उपाध्याय, श्रीमती शैल कश्यप, मोनालिसा संत, शारदा पाण्डेय, पूर्णिमा मिश्रा, एस.के डहरिया, एचएल सोनले, आरके दुबे, शुभनय गोले, अर्चना शुक्ला, नीतू यादव, राजेश चतुर्वेदी, अमित नामदेव, एक्ता पाण्डेय, मंगला स्कूल की शिक्षिका श्रीमती श्रद्धा शास्त्री, श्रीमती बेरथा एक्का और शासकीय पूर्व माध्यमिक कन्या शाला सरकण्डा के शिक्षक शिव कुमार शुक्ला आदि शामिल है। इसी प्रकार बच्चों को समय से पहले छुट्टी देने वाले और सस्था में साफ-सफाई नहीं रखने पर शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। इसमें सिलपहरी स्कूल के शिक्षक रामाधार गोंड और हरदीकला के शिक्षक रामाअवतार पटेल शामिल है। बिल्हा बीईओ को भी शोकॉज नोटिस जारी किया गया है और मस्तूरी ब्लॉक के सेजेस पचपेड़ी के प्राचार्य  सी.के. राठौर से भी इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। बंधवापारा शासकीय प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक  राजेश कुमार विश्वकर्मा के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग को भेजा गया है।

अब यहाँ एक बात समझ नहीं आ रही है कि जब कलेक्टर हर हफ्ते TL बैठक ले रहे हैं और समय समय पर विभागीय निरीक्षण भी कर रहे हैं उसके बाद भी गायब रहते हैं अधिकारी-कर्मचारी. मतलब साफ़ है कि कलेक्टर की बैठक और निरिक्षण का कोई असर नहीं हो रहा है। 

आपको बता दें कि कलेक्टर की बैठक और निरीक्षण में संबंधित विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी रहते हैं। इस समय जो भी खर्च होता है वो सरकारी खजाने से निकाला जाता है। इसके अलावा वेतन तो सभी का बनना ही हैसमय और पैसा खर्च होने के बाद भी अगर स्थिति जस की तस बनी रहती है और इसकी पुनरावृत्ति होती रहे तो एक टैक्स पेयर होने के नाते हमें चिंता होना लाजमी है।

इसलिए कलेक्टर को पुराने चल रहे सिस्टम पर ना चलकर कोई यूनिक तरीका निकालना चाहिए, इससे सरकार को राजस्व की क्षति भी नहीं होगी और सिस्टम भी सुधर जाएगा।   

  • Related Posts

    बिलासपुर: 93 लीटर महुआ शराब और 795 किलो लाहन जब्त

    आबकारी अधिकारी कल्पनाराठौर मीडिया का फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा  बिलासपुर। जिले में अवैध शराब के धंधे के खिलाफ आबकारी विभाग द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि शासन इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। 22 मई 2025 को जिले एवं संभागीय उड़नदस्ता की संयुक्त टीम द्वारा चार स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई। इन कार्यवाहियों में कुल 93 लीटर महुआ शराब और 795 किलोग्राम महुआ लाहन जब्त किया गया, जो नष्ट…

    Continue reading
    बिलासपुर: शहर का सुचारु जीवन बनाम आजीविका का संघर्ष

    शहर और सड़कें सबकी हैं — व्यवस्था और आजीविका के बीच संतुलन की ज़रूरत बिलासपुर नगर निगम द्वारा हाल ही में शुरू किया गया अतिक्रमण विरोधी अभियान एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा करता है कि शहरी विकास और छोटे व्यापारियों की आजीविका में संतुलन कैसे स्थापित किया जाए। सड़क, फूटपाथ और नालियों पर फैलते ठेले-गुमटी भले ही रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करते हैं, परंतु यातायात और आपातकालीन सेवाओं के लिए ये एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं। नगर निगम का यह तर्क वाजिब है कि…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *