बिलासपुर: क्या कलेक्टर अवनीश शरण पद का दुरुपयोग करने वाले शातिर राजस्व अधिकारी शशिभूषण सोनी एवं शेषनारायण जायसवाल के खिलाफ ACB में मामला दर्ज कराएंगे?

बिलासपुर: पद का दुरुपयोग कर बिल्डरों को सरकारी जमीन से नियम विरुद्ध जमीन देने वाले शातिर राजस्व अधिकारी शेषनारायण जायसवाल एवं शशिभूषण के खिलाफ जल्द ही ACB में होगी शिकायत

बिलासपुर: तत्कालीन नायब तहसीलदार शेषनारायण जायसवाल ने गायत्री कंस्ट्रक्शन को और अतिरिक्त तहसीलदार शशिभूषण सोनी ने श्रीराम सरिता बिल्डर्स एंड कॉलोनाइजर्स व राज कंस्ट्रक्शन को उनकी कॉलोनी में जाने का नियम विरूद्ध सरकारी जमीन से रास्ता दिए थे. हमारी शिकायत के बाद 7 माह बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने दोनों को सस्पेंड करने व विभागीय जाँच करने के लिए कमिश्नर महादेव कावरे को पत्र लिखा. इसके बाद कावरे के आदेश का इंतजार है.

जानकारों का कहना है कि ये पद के दुरुपयोग का मामला है जिसके तहत भारत में कई कानूनी धाराएँ लागू हो सकती हैं और दोनों अधिकारियों पर मामला दर्ज किया जा सकता है.

जानकारों के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988) की धारा 13(1)(d), यह धारा विशेष रूप से पद के दुरुपयोग को कवर करती है. इसमें कहा गया है कि यदि कोई सरकारी अधिकारी अपने पद का गलत तरीके से उपयोग करके किसी व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुँचाता है, तो यह अपराध माना जाएगा. वहीं, भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 166, यह धारा सरकारी अधिकारी द्वारा कानून की अवहेलना करने और अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने के लिए लागू होती है.

इसी तरह धारा 409, इस धारा के तहत सरकारी अधिकारी द्वारा आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) के मामले में कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें वह अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी संपत्ति या धन का दुरुपयोग करता है.

केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) और लोकायुक्त में भी भ्रष्टाचार या पद के दुरुपयोग के मामलों में शिकायतें CVC या राज्य स्तरीय लोकायुक्त के पास भी दर्ज कराई जा सकती हैं, जो मामले की जांच करके उचित धाराओं के तहत कार्रवाई की सिफारिश करते हैं.

जानकारों की माने तो एसीबी (Anti-Corruption Bureau) में शासकीय अधिकारी के खिलाफ मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988) के तहत दर्ज किया जाता है. इस अधिनियम में विभिन्न धाराएँ हैं जो पद के दुरुपयोग, रिश्वतखोरी, और भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधों को कवर करती हैं। एसीबी द्वारा मुख्यत, भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग से संबंधित मामलों में मुख्य रूप से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज करती है.

अगर, कलेक्टर अवनीश शरण दोनों के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज नहीं करते हैं तो मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर की समाजहित में काम करने वाली एक मजबूत टीम दोनों के खिलाफ एसीबी में करेगी शिकायत.

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