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आज हम राजस्व के उन अधिकारियों की काली करतूतों को उजागर कर रहे हैं जिन्होंने सरकार को चूना लगाया है. जी हाँ! हम बात कर रहे हैं अतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी की. सोनी ने पटवारी धीरेन्द्र सिंह के साथ मिलकर राज कंस्ट्रक्शन को नियम विरुद्ध शासकीय जमीन से 30 फ़ीट चौड़ा रास्ता दे दिया. जबकि राज कंस्ट्रक्शन के पास रास्ता के लिए पर्याप्त जमीन है.
मामले को समझिए
हमें इस मामले से संबंधित जो दस्तावेज प्राप्त हुए हैं. उसके अनुसार, राज कंस्ट्रक्शन के संचालक अर्जुन कछवाहा एवँ राज सिंह कछवाहा की जमीन(खसरा क्रमांक 1330/2) ग्राम बिरकोना में 0.279 हेक्टेयर है. इस खसरा से लगी एक शासकीय भूमि(खसरा क्रमांक 1331) से संचालकों द्वारा आना जाना किया जाता है. इसमें से राज कंस्ट्रक्शन के संचालकों द्वारा 30 फीट चौड़ा निस्तारी रास्ता की मांग अतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी से की गई. सोनी ने दस्तावेजों का अवलोकन किया और इश्तिहार प्रकाशन करवाया, इसके बाद नियत अवधि में किसी प्रकार का आक्षेप प्राप्त नहीं होने तथा हल्का पटवारी द्वारा प्रस्तुत मौका जाँच प्रतिवेदन से सहमत होकर बिना नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पात्र लिए नियम विरुद्ध राज कंस्ट्रक्शन के संचालकों को शासकीय भूमि से 30 फीट चौड़े रास्ता का उपयोग आवागमन हेतु किए जाने की अनुमति दे दी.
आपको बता दें कि संचालकों के पास आवागमन के लिए शासकीय भूमि के अलावा उनकी खुद की जमीन है. बावजूद इसके राज कंस्ट्रक्शन के द्वारा शासकीय जमीन से आवागमन के लिए रास्ता की मांग की गई.
अब यहाँ प्रश्न उठना लाजमी है कि सरकार के जिम्मेदार अधिकारी शशि भूषण सोनी नियम जानते हुए भी बिल्डर्स को शासकीय भूमि से रास्ता कैसे दे दिया?
राजस्व नियम की जानकारी रखने वाले अधिवक्ता प्रकाश सिंह ने न्यूज़ हब इनसाइट को बताया कि शासकीय भूमि से मार्ग कृषि भूमि के लिए दिया जाता है. वहीं, उन्होंने बताया कि जब बिल्डर्स के पास मार्ग के लिए जमीन है तो फिर शासकीय भूमि से मार्ग दिया जाना पूर्णत: गलत है.
जब इस मामले में पटवारी से बात की गई तो वे नहीं बता पाए कि कितनी शासकीय भूमि राज कंस्ट्रक्शन को दी गई है.
अब प्रश्न उठने लगे हैं
-तहसीलदार और पटवारी ने दोनों ने यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि कितनी शासकीय भूमि रास्ते में उपयोग हेतु की जा रही है?
-पटवारी ने प्रतिवेदन देते समय यह जानने का प्रयास नहीं किया कि आवेदक की भूमि पर आने-जाने के लिए क्या कोई अन्य वैकल्पिक मार्ग है या नहीं?
-मार्ग देने का प्रावधान केवल कृषि भूमि के लिए ही है, परंतु यहां पर आवेदक को कॉलोनी काटने के लिए मार्ग दे दिया गया.
-तहसीलदार के द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए आवेदक को मार्ग देकर शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंचाई गई है.
इस लेख को पढ़कर आपको समझ में आ गया होगा कि शासकीय जमीनों के रक्षक ही भक्षक बन गए है जिसका फायदा जमीन माफियाओं को होना लाजमी है.
सूत्र बताते हैं कि अगर इस जमीन (खसरा क्रमांक 1331) की सही ढंग से जांच की जाएगी तो जिले का बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा.
अब देखते हैं कि इस लेख को राजस्व मंत्री और जिम्मेदार अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हुए आगे कड़ी कार्यवाही की दिशा में बढ़ते हैं.