
बिलासपुर : नगर निगम क्षेत्र की शासकीय जमीनों में हो रहे कब्जे के लिए सीधे महापौर और निगम कमिश्नर ही जिम्मेदार हैं; क्योंकि दोनों ही समय-समय पर अपने क्षेत्र की हर तरह की जानकारी संबंधित विभाग प्रमुखों से लेते रहते हैं. अगर इसके बाद भी निगम की जमीनों पर अवैध ढंग से कब्जा का हो गया तो इनका संदेह के दायरे में आना लाजमी है.
आपको बता दें कि इस बात की पुष्टि कलेक्टर निरीक्षण से हुई है. कलेक्टर अवनीश शरण ने शहर के विभिन्न वार्डों का दौरा किया. उन्होंने शहर में नागरिक सुविधाओं के विकास के लिए प्रस्तावित स्थलों का निरीक्षण किया. प्रमुख रूप से बृहस्पति बाजार में सब्जी मार्केट, जूना बिलासपुर में पशु चिकित्सा अस्पताल के एक हिस्से में लाइब्रेरी, अमेरी से तिफरा तक शहर प्रवेश के लिए वैकल्पिक सड़क चौड़ीकरण के साथ गोकुल नगर का भी जायज़ा लिया. इस दौरान कलेक्टर को जानकारी हुई कि गोकुल नगर के विस्तार सहित अन्य शासकीय योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए नगर निगम को घुरू में ही लगभग 66 एकड़ जमीन शासन द्वारा आबंटित की गई है. इस जमीन के हिस्से में कुछ लोग संघटित रूप से कब्जा कर लिए हैं. इसके बाद कलेक्टर ने इस पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए पूरी जमीन को कब्जा मुक्त करने के निर्देश निगम को दिए.
अब प्रश्न उठता है कि जब इस जमीन पर कब्जा हो रहा था तो कोटवार, जनप्रतिनिधि, राजस्व विभाग और निगम के जिम्मेदार मौन क्यों थे. इससे इनका संदेह के दायरे में आना लाजमी है.
हमारा मानना है कि इस मामले में कलेक्टर की नाराजगी भर से ऐसे लोगों पर लगाम नहीं लगेगी. बल्कि कब्जाधारियों एवं उनकों सह देने वाले जिम्मेदारों को पकडकर उनपर कड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें निलंबित कर देना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति नहीं होगी और शासकीय जमीन भी सुरक्षित रहेगी.