
बिलासपुर: जैसे कि आप लोगों को मालूम है कि न्यूज़ हब इनसाइट में प्रमाण के साथ खबरों को प्रकाशित किया जाता है, इसके पीछे आप लोगों का प्यार और सपोर्ट है. आज हम जिस विषय को लेकर आप लोगों के बीच रख रहे हैं वो राजस्व से जुड़ा है. मामला है सरकारी जमीन का. जब हमारी टीम राजस्व से जुड़े विशेषज्ञों के मार्ग दर्शन में सरकारी जमीन पर रिसर्च की तो बड़ी ही चौंकाने वाली जानकारी प्रमाण के साथ हमारे हाथ लगी. हमें पता चला कि सरकारी जमीन के रक्षक ही भक्षक की तरह कार्य करते हुए कॉलोनाइजरों को नियम विरुद्ध सरकारी जमीन बाँट रहे हैं. इन पर कार्यवाही नहीं होती, इसलिए इनके हौसले बुलंद हैं, जो कि चिंता का विषय है.
यहाँ आप लोगों को बताना जरूरी है कि सरकारी जमीन को नियम विरुद्ध कॉलोनाइजरों को देने वाले वर्तमान अतिरिक्त तहसीलदार शशीभूषण सोनी एवं तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार शेष नारायण जायसवाल की लिखित शिकायत प्रमाण के साथ कलेक्टर अवनीश शरण के पास हो गई है. कलेक्टर ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कड़ा एक्शन लेने का शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया है.
जानिए शेष नारायण जायसवाल का मामला
तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार शेष नारायण जायसवाल द्वारा अपने कार्यकाल में प्रकरण क्र. 202102075000033 ग्राम बिजौर पक्षकार गायत्री कंस्ट्रक्शन द्वारा भागीदार राघवेंद्र गुप्ता विरुद्ध छ.ग. शासन में पारित आदेश 8 फरवरी 2021 में ग्राम बिजौर प.ह.न. 30 तहसील व जिला बिलासपुर स्थित शासकीय भूमि खसरा 8/1 रकबा 11.1170 हे. भूमि में से 160 x 32 = 5120 वर्गफीट भूमि रास्ते हेतु आवेदक गायत्री कंट्रक्सन की भूमि खसरा नंबर 67/1, 70/1, 71/1, 71/4, 73/2, 75, 85/6, 86/2 कुल रकबा 4.56 एकड़ मे कॉलोनी निर्माण हेतु प्रदान किया गया है. उक्त शासकीय भूमि से विधिविरुद्ध रास्ता प्राप्त कर गायत्री कंस्ट्रक्शन के द्वारा शासकीय भूमि पर गायत्री होम्स का वृहद गेट का निर्माण करवा दिया गया है, जो कि अवैधानिक है. तत्कालीन तहसीलदार के द्वारा अधिकारिता विहीन आदेश पारित किया गया एवं उसी के आधार पर संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के द्वारा क्रमांक / 1208 / अभिन्यास / न.ग्रा.नि. / 2022 / दिनांक 27.06.2022 के माध्यम से कॉलोनी निर्माण की अनुमति प्रदान की गई है. इससे शासन को लाखों रुपए की क्षति हुई है, जो कि चिंता का विषय है.
अब जानिए वर्तमान अतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी के दो मामले
वर्तमान अतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी के द्वारा ग्राम बहतराई प.ह.न. 48 में प्र.क्र. 202310075300033 / व – 121 / 2023 – 24 के माध्यम से आवेदक श्रीराम सरिता बिल्डर्स एंड कालोनाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड आशीष गुप्ता आ. रामनिवास गुप्ता द्वारा खसरा नं. 293 रकबा 0.170 तक जाने हेतु शासकीय भूमि खसरा नं. 294/1 रकबा 0.530 हे. से 40 फीट का रास्ता उपयोग हेतु आवेदन करने पर अपने आदेश (6 नवंबर 2023) में कोई भी आपत्ति नहीं की. आवेदक ने उक्त आदेश का उपयोग संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश से कालोनी निर्माण में अनुमति प्राप्त करने हेतु किया, जहाँ से उसे 15860.00 वर्ग मीटर (3.91 एकड़) में विकास अनुज्ञा प्राप्त हो गई.
इसी तरह एक और प्रकरण में वर्तमानअतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी के द्वारा ग्राम बिरकोना मन – 01 प.ह.नं. 47 तहसील व जिला बिलासपुर प्र.क्र. 202310075300018 / ब – 121 / 2023 – 24 में आवेदक राज कंस्ट्रक्शन द्वारा भागीदार अर्जुन सिंह कछवाहा पिता शैलेंद्र सिंह कछवाहा के द्वारा अपने आवेदन मे खसरा क्र. 1330/2 रकबा 0.279 हे. में आने – जाने हेतु शासकीय भूमि खसरा क्र. 1331 मे से 30 फुट चौड़ा रास्ता दिये जाने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर अतिरिक्त तहसीलदार के द्वारा शासकीय भूमि 1331 रकबा 0.429 हे. मे से 30 फुट का चौड़ा रास्ता नियमविरुद्ध आदेश दिनांक 11.10.2023 को पारित कर दिया जिसे खसरा नंबर 1331 के खसरा पंचसाल के खंड 10 में भी रास्ता के रूप मे अंकित कर दिया गया. जिसके आधार पर आवेदक संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश बिलासपुर से कॉलोनी विकसित करने की अनुमति मिल गई. आपको बता दें कि बिल्डर अर्जुन सिंह ने अपने शपथ पत्र (दिनांक 20.10.2023) की कंडिका 26 मे मुख्य मार्ग जो कि डामर रोड है को मुरुम रोड दर्शाया है एवं मुरुम सड़क व स्वीकृत अभिन्यास के बीच रास्ते मे कोई शासकीय भूमि नहीं आ रही है कथन किया है. इस आधार पर संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश ने भी वास्तविकता की जांच किए बिना कॉलोनी विकसित करने हेतु अनुमति प्रदान कर दी.
क्या है नियम
छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा जारी अधिसूचना क्रमांक एफ – 7 -117 / सात – 1 / 2011 दिनांक 17.12.2011 के अनुसार – यदि सार्वजनिक मार्ग और आवेदित कालोनी / भूखंड के मध्य शासकीय भूमि अथवा निजी भूमि है तो पंहुच मार्ग हेतु शासकीय भूमि का आवंटन नियमानुसार मार्ग निर्माण हेतु किया जा सकेगा. इस तरह आवंटित की जाने वाली भूमि कॉलोनाइजरों को शासकीय / नजूल भूमि आवंटन हेतु गठित अंतर्विभागीय समिति द्वारा प्रचलित गाइड लाइन पर आवंटित की जाएगी. भूमि बंटन के पश्चात की अनुज्ञा जारी किया जाना उचित होगा; क्योंकि किसी भी आवासीय स्थल तक पहुँच मार्ग उपलब्ध होने से भूखंड का मूल्य संवर्धन होता है.
मुख्यमंत्री जी! इसकी जांच करवाएं. इस तरह के छत्तीसगढ़ में ढेर सारे मामले उजागार होंगे और सरकार के पास इस तरह के बिल्डरों से करोड़ों-अरबों रुपयों के राजस्व प्राप्त होगा.