Padma Shri Award 2024: रायगढ़ घराने के कथक नर्तक पंडित रामलाल बरेठ ने छत्तीसगढ़ का मान पूरे देश में बढ़ाया, पद्मश्री से हुए सम्मानित; खुशी से झूमा प्रदेश

Padma Shri Award: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में देश की महान हस्तियों को अलग-अलग क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया. इनमें छत्तीसगढ़ के रायगढ़ घराने के कथक नर्तक पंडित रामलाल बरेठ को भी राष्ट्र्पति ने सम्मानित किया. 88 साल के रामलाल बेरठ रायगढ़ घराने के कथक कलाकार हैं. वे देशभर में रायगढ़ कथक शैली में योगदान के लिए जाने जाते हैं. रामलाल बरेठ वर्तमान में मंगला के शैल विहार में अपने बेटे भूपेंद्र बरेठ के साथ रह रहे हैं.

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रामलाल बरेठ का जन्म 6 मार्च 1936 को रायगढ़ में हुआ था. तब ये क्षेत्र मध्य प्रदेश में आता था. राम लाल बरेठ प्रतिष्ठित कथक पंडित कार्तिक राम के पुत्र हैं. रामलाल बरेठ लखनऊ घराने के महाराज भी हैं. उनके पिता और उस्ताद मोहम्मद ने उन्हें तबला सिखाया था. अपने गुरू के मार्गदर्शन में उन्होंने कथक नर्तक की शिक्षा ली. खान बंदा से उन्होंने स्वर संगीत की शिक्षा ली है. रामलाल आज कथक की रायगढ़ शैली के प्रतिष्ठित और अग्रणी प्रतिपादक हैं.

पंडित रामलाल बरेठ के अनुसार, रायगढ़ घराना अपनी तेज गति, लयबद्धता और भावों को गहराई से अभिव्यक्त करने के लिए जाना जाता है. इसमें नृत्यकला की बारीकियों के साथ-साथ अभिनय को भी विशेष महत्व दिया जाता है. कथक नृत्य केवल पैरों की थिरकन नहीं बल्कि आस्था, प्रेम और भक्ति की भावनाओं को भी प्रदर्शित करने का एक माध्यम है.

पंडित रामलाल बरेठ ने न सिर्फ स्वयं कत्थक में महारत हासिल की बल्कि उन्होंने कई शिष्यों को भी प्रशिक्षित किया है। ये शिष्य आज भारत और विश्व भर में रायगढ़ घराने की ध्वज फहरा रहे हैं। उनका मानना है कि कला को जीवित रखने के लिए उसे निरंतर सीखाना और सिखाया जाना चाहिए।

रामलाल  बरेठ बताते हैं कि कथक नृत्य अकेले का कर्म नहीं है. आपको इसके लिए कुशल संगतकार चाहिए. इसकी व्यवस्था करने और रायगढ़ घराने की प्रतिष्ठा को बनाये रखने मैंने कठिन परिश्रम किया.

बरेठ के देश के महान कथक कलाकारों के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे हैं. उन्होंने बताया कि पंडित बिरजु महाराज के साथ उनके बहुत स्नेहिल संबंध रहे हैं. पंडित बिरजु महाराज उन्हें बहुत स्नेह पात्र मानते थे. बिरजु महाराज का जन्म भी रायगढ़ में हुआ. अच्छन महाराज जैसे प्रतिभाशाली लोगों से सीखने का अवसर मिला और कथक की शानदार यात्रा रायगढ़ घराने के प्रोत्साहन से शुरू हुई.

बरेठ बताते हैं कि पहले फिल्मों में शास्त्रीय संगीत और नृत्य का बड़ा मान होता था. फिल्मों के लिए भी काम करने वाले अमीर खां साहब का बहुत निकट संबंध रायगढ़ घराने से रहा. अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित के पिता भी रायगढ़ घराने से संबद्ध रहे.

अच्छी बात यह है कि बरेठ अगली पीढ़ी को भी कथक के लिए दीक्षित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके दादा, पिता कत्थक से जुड़े रहे और अब बेटे भी कथक से जुड़े हैं.

 

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