बिलासपुर: तीन दिवसीय अखिल भारतीय स्तरीय नृत्य संगीत प्रतियोगिता एवं नृत्य संगीत उत्सव अमृत ध्वनि 2024 का हुआ समापन, फेस्टिवल आर्टिस्ट प्राख्या खण्डेलवाल, नित्या शुक्ला एवँ प्रिंसी तिवारी ने कथक की बेहतरीन प्रस्तुति देकर बटोरी तालियां

बिलासपुर। रायगढ़ घराने के कला विकास केंद्र एवँ न्यूज़ हब इनसाइट केयर फाउंडेशन के बैनर तले इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय सरकंडा के आडिटोरियम में आयोजित अखिल भारतीय स्तरीय नृत्य संगीत प्रतियोगिता एवं नृत्य संगीत उत्सव अमृत ध्वनि 2024 के समापन पर नन्हीं बच्चियों ने एक से बढ़कर एक नृत्य की प्रस्तुति दी। लोकगीत गायन प्रतियोगिता में अदिति जग्यासी ने सिंधी लोकगीत गाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक पुन्नूलाल मोहले ने दीप प्रज्जवलित कर किया। अतिथि का पुष्पगुच्छ से स्वागत के बाद वासंती वैष्णव, सुनील वैष्णव, पंकज खंडेलवाल ने संयुक्त रूप से बताया कि आयोजन का उद्देश्य पूरे भारत वर्ष से शास्त्रीय नृत्य व संगीत से जुड़े कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करना रहा। उन्हें अपने इस उद्देश्य में काफी सफलता भी मिली है। इस मंच से कई नामी कलाकारों ने अपनी सहभागिता निभा कर प्रतिभा दिखाई। छोटे बच्चों से लेकर बड़े नृत्यांगनाओं ने अपनी प्रस्तुति को लेकर भारी उत्साह दिखाया। इस मौके पर तृषा, श्रुति बरुआ, आशिता सिकंदर, प्राख्या खंडेलवाल, नाथू सहित अन्य कला प्रेमियों की उपस्थिति रही। अंत में श्वेता नायक, भूपेन्द्र बरेठ, बिपुला दास, मोना आनंद, आंचल पांडेय को गुरु सम्मान दिया गया।
लोक गीतों ने मोहा मन

कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने नृत्य के साथ ही गायन एवं वाद्य यंत्र वादन की विभिन्न श्रेणियां में शानदार प्रस्तुति दी। लोकगीत गायन में प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रांतों एवं क्षेत्रों के लोक गीत प्रस्तुत किए। इसमें अदिति जग्यासी को प्रथम पुरस्कार दिया गया। अदिति ने सिंधी लोकगीत-ओ लाल मेरी… प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया।अदिति खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से संगीत की ट्रेनिंग ले रही है, इस प्रतियोगिता की तैयारी में उनकी गुरु बिपुला दास का अहम योगदान रहा।

भारतीय परंपरा की कला बढ़ते रहे आगे

कार्यक्रम में डीपीएस की छात्रा अन्विता झा एण्ड टीम ने ग्रुप डांस किया। अन्विता ने बताया कि नृत्य करना उनका खुद का शौक है। बचपन में स्कूल में किसी को डांस करते देखकर उसका भी मन करता। मेरी रूचि को देखते हुए पैरेंट्स भी प्रोत्साहित करते रहे। रियाज भी निरंतर जारी रहता है। इससे कथक डांस में निखार आते जा रहा है। भिलाई में उन्हें पहला परफार्मेंस देने का मौका मिला था। वे चाहती है कि भारतीय पंरपरा की कला को देश-विदेश के लोग जानें। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो। डीपीएस की छात्रा कीर्तना पाण्डेय की प्रस्तुति भी बेहतर रही। मात्र सात साल के उम्र में दी गई उसकी प्रस्तुति की सभी ने सराहना की।

कला से मिलती है पहचान

फेस्टिवल आर्टिस्ट प्राख्या खण्डेलवाल, नित्या शुक्ला एवँ प्रिंसी तिवारी ने कथक की बेहतरीन प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी। तीनों फेस्टिवल आर्टिस्टों को डांस करना बहुत पसंद है। अपने इस शौक के चलते इतनी छोटी उम्र में मंचीय कार्यक्रम दे रही हैं। प्राख्या, नित्या एवँ प्रिंसी का सपना एक सफल नृत्यांगना बनना है। तीनों कहती हैं कि कला से भी एक अकग पहचान मिलती है।

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