
छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव एवं मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित कर स्थानांतरण पर लगे प्रतिबंध को हटाने तथा आंशिक संशोधन के साथ स्थानांतरण नीति 2025 को शीघ्र घोषित करने की मांग की है।
संघ के प्रदेश महामंत्री सुनील यादव ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2022 के बाद से अब तक स्थानांतरण प्रक्रिया स्थगित है, जिससे कर्मचारी वर्ग में व्यापक असंतोष व्याप्त है। हजारों कर्मचारी तीन वर्षों से स्थानांतरण की प्रतीक्षा में हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्थानांतरण केवल प्रशासनिक स्तर पर हो रहे हैं, जिनका लाभ मुख्यतः उच्च स्तर के अधिकारियों को मिल रहा है, जबकि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को इसका कोई ठोस लाभ नहीं मिल पा रहा है।
यादव ने यह भी मांग की कि कर्मचारियों की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण नीति में कुछ जरूरी संशोधन किए जाएं। इनमें कर्मचारी संघों के पदाधिकारियों को स्थानांतरण से छूट, 58 वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों को स्थायित्व, पति-पत्नी को एक ही या समीपवर्ती जिले में पदस्थापना, तथा गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट, किडनी, कैंसर, मस्तिष्क या नस संबंधी रोगों से पीड़ित कर्मचारियों को विशेष छूट देने की व्यवस्था शामिल की जाए।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की नीति में संघ पदाधिकारियों को स्थानांतरण से छूट दी गई है, उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी नियम बनाए जाएं। कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए लिपिक संघ लगातार प्रयासरत है और हमारी प्राथमिकता है कि केवल लिपिक वर्ग ही नहीं बल्कि अन्य सभी संवर्गों को भी लाभ मिले।
संघ ने सरकार से अपील की है कि कर्मचारी हितों को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण पर से प्रतिबंध हटाया जाए एवं स्थानांतरण नीति 2025 को शीघ्र जारी किया जाए ताकि सभी कर्मचारियों को न्याय मिल सके।