
बिलासपुर: गुलाब नगर, मोपका निवासी प्रकाश सिंह द्वारा ग्राम मोपका स्थित खसरा नंबर 992 व 993 पर अवैध पट्टा एवं अतिक्रमण की शिकायत के बाद कलेक्टर बिलासपुर कार्यालय द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए आदेश क्रमांक 193/भू-अभि/रा.नि.का/2024 दिनांक 17 दिसंबर 2024 को एक जांच दल का गठन किया गया। अतिरिक्त कलेक्टर आर. ए. कुरुवंशी की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने दस्तावेजी प्रमाणों, स्थानीय नागरिकों से प्राप्त अभिलेखों तथा दैनिक अखबार में प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर गहन जांच की।
जांच में सामने आए अहम तथ्य
🔸 खसरा नंबर 993/1 वर्ष 1928-29 के मिसल बंदोबस्त में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज था, जिसका कुल रकबा 242.83 एकड़ है। इसी प्रकार 993/2 खसरा घास मद में 57.35 एकड़ के रूप में दर्ज है।
🔸 समय के साथ विभिन्न आदेशों के आधार पर खसरा 993/1 से भूमि को गौचर के लिए स्थानांतरित किया गया। 16.98 एकड़ भूमि विभिन्न निर्णयों के आधार पर निस्तार पत्रक से पृथक की गई।
🔸 वर्ष 1978-79 में बीस सूत्रीय कार्यक्रम के तहत तत्कालीन नायब तहसीलदार जे. आर. राठिया द्वारा कई व्यक्तियों को भूमिस्वामी अधिकार का अवैध पट्टा दिया गया, जिसकी कोई विधिसम्मत प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
🔸 वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के लागू होने से पहले ही बिना अनुमति और दस्तावेजों के आनन-फानन में पट्टा वितरण किया गया।
🔸 कई पट्टा धारकों द्वारा 3-6 वर्षों के भीतर भूमि का बिक्री पत्र तैयार कर विक्रय कर दिया गया, जबकि भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 158(3) के अनुसार पट्टे की भूमि को 10 वर्षों तक अंतरित नहीं किया जा सकता।
🔸 विक्रय पत्र में कई पट्टाधारकों द्वारा झूठा घोषणा पत्र प्रस्तुत किया गया कि यह भूमि पट्टे से प्राप्त नहीं है, जिससे धारा 165(7) का भी उल्लंघन हुआ है।
🔸 बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति से नामांतरण भी किया गया और भूमि को बार-बार छोटे टुकड़ों में विक्रय किया गया।
निस्तार पत्रक में दर्ज नामों की सूची
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विजय कुमार – 0.33 एकड़ (993/1/ग)
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मनोज कुमार – 0.32 एकड़ (993/1/ग)
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अशोक कुमार – 1.02 एकड़ (993/1/न)
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हरीश कुमार – 0.32 एकड़ (993/1/ग)
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राजकुमारी – 0.32 एकड़ (993/4/घ)
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आशा बाई – 0.33 एकड़ (993/3/स)
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अमित कुमार – 0.33 एकड़ (993/1/ग)
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बलराम – 1.03 एकड़ (993/1/ल)
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि खसरा नंबर 993/1 की भूमि पर अनेक प्रक्रियागत त्रुटियों व कानूनी उल्लंघनों के साथ अवैध रूप से पट्टे बांटे गए, नामांतरण हुए और भूमि का विक्रय किया गया। इन सभी प्रक्रियाओं में विधि विरुद्ध निर्णय, झूठे घोषणा पत्र, तथा नियमों का उल्लंघन सामने आया है। अब यह मामला प्रशासन के लिए संवेदनशील हो चुका है और आगामी कार्रवाई की दिशा में कड़ी कार्यवाही की संभावना जताई जा रही है।