बिलासपुर: प्रभारी मंत्री अरुण साव के क्षेत्र में डीईओ टीआर साहू की मनमानी चरम पर… RTI आवेदक शिक्षा विभाग के चक्कर काटने के लिए मजबूर…

फाइल फोटो

विवादित एवं लापरवाह अधिकारी टीआर साहू जैसे अधिकारियों के कारण सरकार की छवि होती है धूमिल

बिलासपुर: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत जानकारी मांगने वाले आवेदक को बार-बार विभाग का चक्कर लगाने के बावजूद जानकारी नहीं मिल पा रही है। जनसूचना अधिकारी की लापरवाही के चलते आवेदक को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.

आवेदक के अनुसार, वो खेल मामले में क्रय की गई सामग्री एवं अपनाई गई प्रक्रिया के संबंध में आवेदन लगाया था इसपर डीईओ आफिस ने शुल्क पटाकर जानकारी लेने के संबंध में आवेदक को लेटर भेजा, जब आवेदक शुल्क पटाने कार्यालय पहुँचा तो डीईओ साहू ने यह कहकर लौटा दिया कि सूचना अधिकार खण्ड कि महिला कर्मचारी छुट्टी में है जब आवेदक फिर से 22 एवं 23 तारीख को कार्यालय गया तो डीईओ ने खण्ड बाबू की व्यवस्था नहीं होने का रोना रोकर आवेदक को चलता कर दिया.

आप समझ सकते हैं कि अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण आवेदकों का समय और ऊर्जा दोनों बर्बाद हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, आवेदक ने कई महत्वपूर्ण सूचनाएं मांगी थीं, जो सार्वजनिक हित से जुड़ी हैं।

आवेदक का कहना है कि विभाग के अधिकारी उसे जानकारी देने से बच रहे हैं और बार-बार आवेदन करने के बावजूद उसे ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। यह स्थिति आरटीआई अधिनियम के मूल उद्देश्य के विपरीत है, जिसका उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।

इस संदर्भ में एक जाने माने सूचना अधिकार के अधिवक्ता प्रकाश सिंह का कहना है कि ऐसे मामलों में आवेदक को संबंधित उच्च अधिकारियों और सूचना आयोग से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा कि “यह जनता का अधिकार है कि वह समय पर और सटीक जानकारी प्राप्त कर सके। अगर किसी अधिकारी द्वारा इसमें लापरवाही की जा रही है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।”

प्रकाश सिंह ने बताया कि अगर किसी जनसूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को जानकारी के लिए बहाने बनाकर कार्यालय का चक्कर कटवाया जाता है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

इस मामले को लेकर आवेदक ने उच्च अधिकारियों और सूचना आयोग में शिकायत दर्ज करने की बात कही है, जिससे आने वाले समय में और भी विभागीय कर्मचारियों पर इस प्रकार की लापरवाही न हो।

अंतिम समाचार अपडेट तक इस मामले पर विभाग की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

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