
फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए सीमांकन कराने का आरोप, न्यायालय ने जताई साक्ष्य से छेड़छाड़ की आशंका
बिलासपुर: प्रथम फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो) की अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती पूजा जायसवाल की अदालत ने एक जमीनी धोखाधड़ी के मामले में डुलाराम मोटवानी (70) एवं उनके तीन पुत्रों नरेन्द्र मोटवानी(जमीन दलाल), महेन्द्र और राजेन्द्र की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
थाना तोरवा क्षेत्र निवासी मीना गंगवानी ने दिनांक 8 अप्रैल 2025 को दर्ज शिकायत में आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उनकी जमीन खसरा नंबर 445 का फर्जी सीमांकन करवा कर उसे अपने नाम की भूमि खसरा नंबर 454 के रूप में दिखाया। आरोपियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने तहसील कार्यालय में एक अन्य महिला को मीना गंगवानी के रूप में प्रस्तुत कर सीमांकन आदेश प्राप्त किया और फर्जी हस्ताक्षर कराए।
राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा नंदी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह गंभीर प्रकृति का अपराध है और आरोपी रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से फरार हैं। याचिका का विरोध करते हुए यह भी बताया गया कि मुख्य आरोपी नरेन्द्र मोटवानी पर पूर्व में भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें मारपीट, अपहरण और धोखाधड़ी जैसे आरोप शामिल हैं।
प्रार्थिया की ओर से अधिवक्ता ए. कुमार ने भी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह सुनियोजित षड्यंत्र है, जिसमें सरकारी दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर भूमि हड़पने की कोशिश की गई है।
न्यायालय ने केस डायरी और प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए पाया कि प्रथम दृष्टया आरोप गंभीर हैं और याचिकाकर्ता जमानत मिलने पर साक्ष्य से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसी कोई अपवादजनक परिस्थिति नहीं पाई गई, जिससे अग्रिम जमानत दी जा सके।
इस आधार पर न्यायालय ने सभी चारों आरोपियों की याचिका खारिज कर दी और केस डायरी संबंधित थाना तोरवा को वापस प्रेषित करने के आदेश दिए।
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