बिलासपुर: बारिश को लेकर कलेक्टर संजय अग्रवाल कितने तैयार थे? देखिए कलेक्टर निवास और तहसील कार्यालय में जलभराव की तस्वीरें

बिलासपुर में बारिश ने खोली प्रशासन की पोल: कलेक्टर निवास और तहसील कार्यालय तक जलभराव

बारिश से बेहाल बिलासपुर: कलेक्टर निवास और तहसील कार्यालय में जलभराव, जिम्मेदार कौन?

बिलासपुर शहर में गुरुवार को हुई तेज बारिश ने एक बार फिर नगर निगम की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। शहर की कई प्रमुख कॉलोनियों और बाजारों के साथ-साथ कलेक्टर निवास परिसर और तहसील कार्यालय परिसर तक जलमग्न हो गए। सबसे चौंकाने वाली तस्वीरें प्रशासन के सबसे सुरक्षित और महत्वपूर्ण माने जाने वाले परिसरों की सामने आईं, जहां घुटनों तक पानी भर गया।

संपादकीय दृष्टिकोण: ये व्यवस्था की विफलता नहीं तो और क्या?

बारिश एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन हर बार की तरह प्रशासन की “अप्राकृतिक” तैयारी और “कृत्रिम” घोषणाएं सामने आईं। साल दर साल करोड़ों रुपये की नालों की सफाई, ड्रेनेज सुधार और स्मार्ट सिटी के नाम पर किए गए वादे कहां गायब हो जाते हैं, इसका जवाब जनता जानना चाहती है।

जब जिले के मुखिया का आवास और प्रशासनिक कार्यों का प्रमुख केंद्र – तहसील परिसर – खुद पानी में डूब जाए, तो आम नागरिक की स्थिति की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाता है। यह केवल जलभराव नहीं, बल्कि *शासन-प्रशासन के ढांचे में गहराई तक भरे असंवेदनशीलता और लापरवाही का जल-चित्र* है।

विश्लेषण: जिम्मेदार कौन, और जवाबदेही कब?

1. नालों की सफाई पर सवाल – हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई का दावा किया जाता है, फिर भी मुख्य मार्गों और दफ्तर परिसरों में पानी भरता है। क्या यह कार्य सिर्फ कागजों में पूरा होता है?

2. ड्रेनेज सिस्टम की विफलता – बिलासपुर शहर के अधिकांश हिस्सों में ड्रेनेज व्यवस्था दशकों पुरानी है। नए कॉलोनियों में तो इसका नामोनिशान भी नहीं है। शहर के विस्तार के साथ-साथ ड्रेनेज सिस्टम का उन्नयन क्यों नहीं किया गया?

3. नगर निगम और जिला प्रशासन की संयुक्त नाकामी – स्मार्ट सिटी योजना के नाम पर करोड़ों खर्च हुए, लेकिन जब ज़मीन पर स्थिति जस की तस है तो परियोजनाओं के कार्यान्वयन और मॉनिटरिंग पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

4. आपदा प्रबंधन की तैयारी अधूरी – तेज बारिश की पूर्व चेतावनी के बावजूद न तो पंप लगाए गए, न वैकल्पिक मार्ग बनाए गए, और न ही जल निकासी की तत्काल व्यवस्था दिखी।

जनता का सवाल: क्या बिलासपुर में जिम्मेदारियों का भी जलभराव हो गया है?

जब तक सिस्टम में जवाबदेही तय नहीं होगी, ऐसे हालात बार-बार सामने आते रहेंगे। अब सवाल केवल इतना है कि—

 क्या इस बार भी एक जाँच कमेटी बनेगी और फिर वही फाइलों में दबी रिपोर्टों का ढोल बजेगा?

या कोई अधिकारी जनता के सामने आकर जवाबदेही निभाएगा?

बिलासपुर अब केवल स्मार्ट सिटी बनने की घोषणा नहीं, स्मार्ट प्रबंधन और जवाबदेह प्रशासन की मांग कर रहा है।

 

  • Related Posts

    बिलासपुर: SSP रजनेश सिंह की सख़्ती भी नहीं रोक पा रही स्टंटबाज़ों की सनक

    बिलासपुर की सड़कों पर पिछले कुछ महीनों से जिस तरह का खतरनाक ट्रेंड देखने को मिल रहा है, वह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि सामाजिक गैर-जिम्मेदारी की पराकाष्ठा है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है—पाँच महीनों में 14 मामले दर्ज, 33 वाहन जब्त, 72 आरोपी गिरफ्तार। लेकिन सवाल यह है कि आखिर स्टंटबाज़ों पर यह कड़ी कार्रवाई भी असरदार क्यों नहीं हो रही? सड़कें रेस ट्रैक नहीं हैं, और न ही खुलेआम बर्थडे सेलिब्रेशन का मंच। फिर भी कुछ युवा सोशल मीडिया की चकाचौंध और…

    Continue reading
    छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर उसलापुर में महका ‘व्यंजन मेला’, छात्रों ने परोसी संस्कृति की सुगंध

    बिलासपुर: महाराणा प्रताप महाविद्यालय उस्लापुर में छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के मौके पर पारंपरिक स्वाद और संस्कृति की अनोखी महक बिखेरते हुए छत्तीसगढ़ी व्यंजन मेला धूमधाम से आयोजित किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ शिवाजी राव शिक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.एल. गोयल और प्राचार्य डॉ. अनिता सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। उद्घाटन के बाद विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ी भाषा के महत्व, उसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय बोलियों की प्रतिष्ठा के बारे में अवगत कराया गया। मेले में छात्रों ने फरा, चौसेला, चीला, धुस्का, भजिया जैसे पारंपरिक व्यंजनों…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *