बिलासपुर में बारिश ने खोली प्रशासन की पोल: कलेक्टर निवास और तहसील कार्यालय तक जलभराव
बारिश से बेहाल बिलासपुर: कलेक्टर निवास और तहसील कार्यालय में जलभराव, जिम्मेदार कौन?
बिलासपुर शहर में गुरुवार को हुई तेज बारिश ने एक बार फिर नगर निगम की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। शहर की कई प्रमुख कॉलोनियों और बाजारों के साथ-साथ कलेक्टर निवास परिसर और तहसील कार्यालय परिसर तक जलमग्न हो गए। सबसे चौंकाने वाली तस्वीरें प्रशासन के सबसे सुरक्षित और महत्वपूर्ण माने जाने वाले परिसरों की सामने आईं, जहां घुटनों तक पानी भर गया।
संपादकीय दृष्टिकोण: ये व्यवस्था की विफलता नहीं तो और क्या?
बारिश एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन हर बार की तरह प्रशासन की “अप्राकृतिक” तैयारी और “कृत्रिम” घोषणाएं सामने आईं। साल दर साल करोड़ों रुपये की नालों की सफाई, ड्रेनेज सुधार और स्मार्ट सिटी के नाम पर किए गए वादे कहां गायब हो जाते हैं, इसका जवाब जनता जानना चाहती है।
जब जिले के मुखिया का आवास और प्रशासनिक कार्यों का प्रमुख केंद्र – तहसील परिसर – खुद पानी में डूब जाए, तो आम नागरिक की स्थिति की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाता है। यह केवल जलभराव नहीं, बल्कि *शासन-प्रशासन के ढांचे में गहराई तक भरे असंवेदनशीलता और लापरवाही का जल-चित्र* है।
विश्लेषण: जिम्मेदार कौन, और जवाबदेही कब?
1. नालों की सफाई पर सवाल – हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई का दावा किया जाता है, फिर भी मुख्य मार्गों और दफ्तर परिसरों में पानी भरता है। क्या यह कार्य सिर्फ कागजों में पूरा होता है?
2. ड्रेनेज सिस्टम की विफलता – बिलासपुर शहर के अधिकांश हिस्सों में ड्रेनेज व्यवस्था दशकों पुरानी है। नए कॉलोनियों में तो इसका नामोनिशान भी नहीं है। शहर के विस्तार के साथ-साथ ड्रेनेज सिस्टम का उन्नयन क्यों नहीं किया गया?
3. नगर निगम और जिला प्रशासन की संयुक्त नाकामी – स्मार्ट सिटी योजना के नाम पर करोड़ों खर्च हुए, लेकिन जब ज़मीन पर स्थिति जस की तस है तो परियोजनाओं के कार्यान्वयन और मॉनिटरिंग पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
4. आपदा प्रबंधन की तैयारी अधूरी – तेज बारिश की पूर्व चेतावनी के बावजूद न तो पंप लगाए गए, न वैकल्पिक मार्ग बनाए गए, और न ही जल निकासी की तत्काल व्यवस्था दिखी।
जनता का सवाल: क्या बिलासपुर में जिम्मेदारियों का भी जलभराव हो गया है?
जब तक सिस्टम में जवाबदेही तय नहीं होगी, ऐसे हालात बार-बार सामने आते रहेंगे। अब सवाल केवल इतना है कि—
क्या इस बार भी एक जाँच कमेटी बनेगी और फिर वही फाइलों में दबी रिपोर्टों का ढोल बजेगा?
या कोई अधिकारी जनता के सामने आकर जवाबदेही निभाएगा?
बिलासपुर अब केवल स्मार्ट सिटी बनने की घोषणा नहीं, स्मार्ट प्रबंधन और जवाबदेह प्रशासन की मांग कर रहा है।















