
कथाकार तुलसी देवी तिवारी की तीन कृतियों का लोकार्पण, हुआ सम्मानित
बिलासपुर। प्रयास प्रकाशन साहित्य अकादमी राष्ट्रीय समिति, बिलासपुर एवं अक्षय पब्लिकेशन, प्रयागराज के संयुक्त आयोजन में छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध कथाकार एवं कवयित्री तुलसी देवी तिवारी की तीन कृतियों – “साहित्य के आलोक में तुलसी” (संदर्भ ग्रंथ), “पुकार जगन्नाथ की” (यात्रा संस्मरण) एवं “छत्तीसगढ़ की लोक कथाएं” का भव्य विमोचन एवं सम्मान समारोह स्थानीय होटल बल्ले बल्ले में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि – “श्रेष्ठ साहित्य सृजन समाज को दिशा देता है, नई पीढ़ी को संस्कारित करता है।” वहीं विशिष्ट अतिथि बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने बिलासपुर की साहित्यिक परंपरा को गौरवशाली बताते हुए आयोजकों की सराहना की। समारोह भूषण न्यायमूर्ति चन्द्रभूषण वाजपेयी ने तुलसी तिवारी को साहित्य, शिक्षा और गृहस्थ जीवन में श्रेष्ठ योगदान देने वाली प्रेरक व्यक्तित्व बताया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विनय कुमार पाठक (पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग) ने कहा – “तुलसी तिवारी की साहित्यिक यात्रा विविध विधाओं में अद्भुत है। 12 कहानी संग्रह, एक उपन्यास, चार यात्रा संस्मरण, 11 बाल साहित्य पुस्तकें और ताजा काव्य संग्रह ‘दूर्वादल’ उनकी रचनात्मकता को दर्शाते हैं।”
विशिष्ट अतिथि आचार्य ए.डी.एन. वाजपेयी, कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर, ने साहित्य सृजन को कठिन लेकिन प्रेरणादायक साधना बताया। वरिष्ठ साहित्यकार नंदकिशोर तिवारी, भगवान प्रसाद उपाध्याय, आरती पाठक, रामनाथ साहू और अजय शर्मा ने तुलसी तिवारी की कृतियों की सराहनीय समीक्षा की और उन्हें बधाई दी।
कार्यक्रम का संचालन राघवेंद्र कुमार दुबे ने किया तथा संयोजक विमर्श तिवारी ने आयोजन की रूपरेखा व तुलसी तिवारी के योगदान की जानकारी दी। सरस्वती वंदना राम निहोरा राजपूत व स्वागत गीत आर्या तिवारी बहनों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
तुलसी देवी तिवारी को शाल, श्रीफल एवं मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया गया। उन्होंने भावुक होकर कहा – “मेरी रचनाएं मेरे जीवन की अनुभूतियों का सृजन हैं और साहित्यकारों का मार्गदर्शन मेरी प्रेरणा है।”
समापन अवसर पर अंजनी कुमार तिवारी ‘सुधाकर’ ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विवेक तिवारी, बृजेश सिंह, शीतल प्रसाद पाटनवार, अजय शर्मा, अनिता सिंह, स्मृति वैष्णव जैन, विपुल तिवारी समेत बिलासपुर व आसपास के अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।