
अपोलो अस्पताल प्रबंधन पर भी कस रहा है शिकंजा, दर्ज हुआ हत्या का मामला
बिलासपुर: अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में 2006 में हुई पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। जांच में सामने आया है कि उनका इलाज करने वाला डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव फर्जी डिग्री के आधार पर अस्पताल में कार्यरत था।
पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को दमोह जिला जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत गिरफ्तार कर बिलासपुर लाने की कार्रवाई की है।
पुलिस जांच में स्पष्ट हुआ है कि डॉक्टर नरेंद्र के पास डीएम कार्डियोलॉजी की फर्जी डिग्री थी और उसका छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में कोई पंजीयन नहीं था। ऐसे में उसे एंजियोप्लास्टी जैसे उच्च जोखिम वाले उपचार का कोई अधिकार नहीं था।
हत्या का मामला दर्ज
पुलिस ने इसे मात्र चिकित्सकीय लापरवाही नहीं, बल्कि क्रूरतम आपराधिक मानव वध मानते हुए थाना सरकंडा में धारा 420, 466, 468, 471, 304, 34 भादवि के तहत मामला दर्ज किया है।
प्रबंधन पर भी लटकी तलवार
अपोलो अस्पताल प्रबंधन की भूमिका भी जांच के घेरे में है। डॉक्टर की नियुक्ति, प्रमाण पत्रों की वैधता और मरीजों के इलाज में अस्पताल की जिम्मेदारी को लेकर कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।
डॉ. नरेंद्र की नियुक्ति अवधि के दौरान जिन मरीजों का इलाज हुआ, उन सभी मामलों की बारीकी से जांच की जा रही है। इसी क्रम में एक अन्य मरीज भगत राम डॉ. डोडेजा की संदिग्ध मृत्यु भी जांच में शामिल की गई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोषियों को जल्द ही न्यायिक प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार किया जाएगा और जिम्मेदार प्रबंधन अधिकारियों पर भी कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है।