-कलेक्टर के हस्तक्षेप के बिना न्याय नहीं — जनता की निगाहें प्रशासन पर
-विधवा शिक्षिका से रिश्वत लेने का आरोप लग चुका है — शिक्षा अधिकारी विजय टांडे पर
-विभाग की छवि धूमिल करने वाले बाबू सीएस नौरके पर इतनी मेहरबानी क्यों?
-विवादों से घिरे प्रभारी DEO विजय टांडे पर उठ रहे गंभीर सवाल
बिलासपुर। शैक्षणिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई कार्रवाई क्या सिर्फ दिखावा थी? यह बड़ा सवाल उस दिन गहरा गया जब चिकित्सा प्रतिपूर्ति भुगतान के बदले रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किए गए लिपिक सी.एस. नौरके को विभाग ने फिर उसी पद पर बहाल कर दिया!
पृष्ठभूमि
सहायक शिक्षक संतोष साहू की मेडिकल बिल पास करने के बदले पैसों की मांग —
ऑडियो क्लिप वायरल —
समाचारों में बड़ा खुलासा —
और फिर निलंबन!
लेकिन जवाब असंतोषजनक पाए जाने के बाद भी नौरके को क्लीन चिट जैसी बहाली… आखिर क्यों??
बहाली से उठे 3 बड़े सवाल
–क्या BEO-DEO आरोपी कर्मचारी को बचा रहे हैं?
BEO ने DEO को चिठ्ठी लिखकर कहा —
“नोरके के बिना काम नहीं चलेगा”
क्या पूरे विकासखंड में एक ही लिपिक है जो फाइल चला सकता है? 🤔
-क्या भ्रष्टाचार करने वालों का बढ़ेगा मनोबल?
रिश्वत मांगने का आरोप साबित न सही…
मगर साक्ष्य सामने
ऑडियो वायरल…
और शिकायतकर्ता मौजूद…
फिर सरकारी कार्यालय का वही जिम्मा वापस क्यों?
– DEO टांडे का पुराना इतिहास भी दागदार!
जिला शिक्षा अधिकारी विजय टांडे पर पहले ही आरोप है —
-कोटा में BEO रहते हुए शिक्षिका नीलम भारद्वाज का पेमेंट रोका और रिश्वत मांगी
शिकायत तत्कालीन कलेक्टर के पास जनदर्शन में हुई थी।
तो क्या अब वही अधिकारी इस तरह के कर्मचारियों को संरक्षण देने की श्रृंखला आगे बढ़ा रहे हैं?
शिक्षा विभाग की छवि को चोट… और आरोपी को इनाम?
एक तरफ आदेश में खुद माना गया —
DocScanner 10-Sep-2025 04-04 PM (1)
“नौरके के इस कृत्य से विभाग की छवि धूमिल हुई है।”
दूसरी तरफ —
उसी विभाग की मेज फिर उन्हीं के हवाले!
यह निर्णय न्याय के गले नहीं उतरता!
जनता व न्याय व्यवस्था के लिए बड़ा संदेश?
अगर रिश्वत मांगने वाला अधिकारी
– थोड़े दिनों की छुट्टी के बाद
– वही सत्ता व अधिकार वापस पा ले
तो यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार को खुला लाइसेंस देने जैसा है!















