बिलासपुर: “भ्रष्टाचार पर बुलडोज़र या संरक्षण?” — हमारी खबर का असर! कलेक्टर संजय अग्रवाल ने लिया संज्ञान, रिश्वतखोर बाबू सी.एस. नौरके की पोस्टिंग बदले जाने के दिए निर्देश

कलेक्टर की अनुमति बिना बहाली! प्रभारी DEO विजय टांडे पर सवालों की बौछार — सिस्टम में ‘सिफारिशशक्ति’ हावी या लापरवाही?

मस्तूरी शिक्षा विभाग में रिश्वतखोरी के मामले में हमारी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट —

norke जी


बिलासपुर: भ्रष्टाचार पर बुलडोज़र या संरक्षण? आरोपी लिपिक सी.एस. नौरके की बहाली ने खड़े किए गंभीर सवाल — विवादित प्रभारी DEO विजय टांडे पर भी शक की सुई!” का बड़ा असर हुआ है।

खबर के प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर संजय अग्रवाल ने स्वयं मामले को संज्ञान में लिया और तत्काल डीईओ को निर्देशित किया कि आरोपी लिपिक को पुरानी जगह से हटाकर अन्यत्र पदस्थ किया जाए।

पूरा मामला : शिक्षक संतोष कुमार साहू से मांगी गई थी 10% रिश्वत

मामला मस्तूरी विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का है।
यहां पदस्थ सहायक ग्रेड-2 लिपिक सी.एस. नौरके ने शासकीय प्राथमिक शाला खपरी के सहायक शिक्षक संतोष कुमार साहू से मेडिकल बिल पास करने के एवज में 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की थी।

जब शिक्षक ने रिश्वत देने से इंकार किया, तो नौरके ने उनका बिल रोक दिया।
शिकायत कलेक्टर और डीईओ तक पहुंची, जिसके बाद कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कार्रवाई करते हुए नौरके को निलंबित करने के निर्देश दिए थे।

दोष सिद्ध होने के बावजूद बहाली! फिर से उसी जगह पदस्थापना

रिश्वत के आरोप में निलंबन के बाद भी नौरके को दोष सिद्ध पाए जाने के बावजूद बहाल कर दिया गया।
और हैरानी की बात यह कि डीईओ कार्यालय ने बिना कलेक्टर से अनुमति लिए, उसी स्थान पर फिर से पदस्थ कर दिया जहां से वह सस्पेंड किया गया था!

बहाली आदेश में यह भी लिखा गया कि “भविष्य में दोबारा ऐसी गलती करने पर कार्रवाई की जाएगी”, जो अपने आप में प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है।

हमारी खबर ने मचाया हड़कंप — कलेक्टर की सख्त फटकार

जैसे ही हमारी खबर सोशल और स्थानीय मीडिया में चर्चा का विषय बनी,
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने तत्काल डीईओ को फटकार लगाई और कहा कि

“दोष सिद्ध कर्मी को दोबारा उसी जगह पदस्थ करना प्रशासनिक नियमों के खिलाफ है।”

कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि नौरके को तुरंत अन्यत्र पदस्थ कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

DEO विजय टांडे की भूमिका पर भी सवाल

सूत्रों के मुताबिक, प्रभारी डीईओ विजय टांडे ने यह बहाली आदेश कलेक्टर से पूर्व अनुमति लिए बिना जारी किया था।
इसी कारण अब उनके खिलाफ भी प्रशासनिक समीक्षा की संभावना जताई जा रही है।

भ्रष्टाचार पर कार्रवाई या संरक्षण?

यह मामला अब जिले के शिक्षा महकमे में भ्रष्टाचार बनाम संरक्षण की नई बहस छेड़ चुका है।
एक ओर ईमानदार शिक्षक परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर दोष सिद्ध बाबू को बहाली और वही पोस्टिंग देने से शासन की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं।

हमारी खबर 

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जनता की आवाज़, असरदार पत्रकारिता

हमारी रिपोर्ट ने न केवल प्रशासन को झकझोरा, बल्कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की नई मिसाल भी पेश की है।
कलेक्टर की त्वरित प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि

“सच बोलने वाली पत्रकारिता अभी ज़िंदा है — और उसका असर होता है!”

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