स्मार्ट सिटी बिलासपुर डूबी, भारी बारिश के बाद भी अमर और कांग्रेस चुप—जवाबदेही कहां?
बिलासपुर: पिछले 18 घंटों में रिकॉर्ड 127 मिमी बारिश ने शहर के निचले इलाकों को जलमग्न कर दिया। पुराने बस स्टैंड, जरहाभाटा, तैयबा चौक, बंधवापारा, जोरापारा, चांटीडीह, मित्र विहार और श्रीकांत वर्मा मार्ग जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए।
हालांकि इस गंभीर स्थिति में भी जिम्मेदार नेताओं की प्रतिक्रिया नहीं आई। खासकर विधायक अमर अग्रवाल और विपक्षी पार्टी के बड़े कांग्रेस नेताओं ने अब तक इस जलभराव और नागरिकों की परेशानी पर कोई बयान नहीं दिया है।
.निगम की कार्रवाई
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70 स्थानों से पानी निकासी—33 जेसीबी/पोकलेन, 7 पंप, 32 मैनुअल।
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कच्ची नालियों का निर्माण और जल निकासी के उपाय।
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बाढ़ नियंत्रण कक्ष में 24 घंटे अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी तैनात।
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जोखिम वाले और जर्जर भवन चिन्हित, फील्ड टीमों को त्वरित कार्रवाई का निर्देश।
.सवाल उठते हैं
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स्मार्ट सिटी होने और करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद पूर्व तैयारी क्यों नहीं हुई?
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क्या उपलब्ध संसाधनों का सही समय पर और प्रभावी उपयोग किया गया?
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क्या नालियों और मौजूदा सिस्टम की कमी से ही जलभराव बढ़ा या निर्णय लेने में देरी हुई?
. सिस्टम और तैयारी में कमियां
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स्मार्ट सिटी में आधुनिक मशीनरी होने के बावजूद पुरानी नालियां और अधूरी बुनियादी ढांचा समस्या बढ़ा रहे हैं।
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फील्ड में अधिकारियों की सक्रियता सराहनीय है, लेकिन पूर्व चेतावनी और रणनीति की कमी साफ दिखी।
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बाढ़ नियंत्रण कक्ष और नोडल अधिकारियों की उपस्थिति केवल आपातकालीन स्थिति में प्रभावी हो सकती है, लेकिन लंबे समय तक तैयारी और पूर्व नियोजन जरूरी है।
स्मार्ट सिटी का दर्जा केवल नाम और खर्च से नहीं, बल्कि आपातकाल में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई से तय होता है। बिलासपुर की हालिया बारिश ने यह स्पष्ट कर दिया कि जवाबदेही तय करने का वक्त अब आ चुका है। नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को सिर्फ फील्ड में रहना ही पर्याप्त नहीं—पूर्व तैयारी, मॉनिटरिंग और त्वरित निर्णय प्रणाली पर भी ध्यान देना होगा।















