
नियम के तहत दी जाने वाली नि:शुल्क जानकारी के लिए भी मांग रहे हैं पैसा
बिलासपुर। समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत कार्यरत जिला मिशन समन्वयक ओम पाण्डेय पर सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) की धज्जियां उड़ाने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। न केवल कार्यालय में सूचना के अधिकार संबंधी अनिवार्य सूचना पट्ट (RTI बोर्ड) नहीं लगाया गया है, बल्कि जो जानकारी नियमों के तहत निःशुल्क दी जानी चाहिए, उसके लिए भी आवेदक से पैसे मांगे जा रहे हैं।
मामला 1 अप्रैल 2025 का है, जब एक आवेदक ने दो अलग-अलग आवेदन सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जिला मिशन समन्वयक कार्यालय में जमा किए। नियमानुसार, इन आवेदनों का जवाब 30 दिनों के भीतर दिया जाना चाहिए था, परन्तु जवाब नहीं मिला।
आवेदक द्वारा जब फॉलोअप किया गया तो 7 मई को उन्हें दो पत्र सौंपे गए, जिन पर 30 अप्रैल की तिथि अंकित थी । पत्रों में क्रमशः ₹114 और ₹6 की राशि जमा करने की बात लिखी गई। जब आवेदक ने आपत्ति जताई कि 30 दिनों के बाद सूचना मुफ्त में दी जानी चाहिए, तो जिम्मेदार ने मौखिक रूप से कहा कि “ठीक है, कल जानकारी ले जाना।” लेकिन इसके बाद भी आज दिनांक तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है।
जब इस प्रकरण की जानकारी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) तक पहुंची, तो उनके हस्तक्षेप के बाद ही ओम पाण्डेय ने जानकारी देने की बात कही। लेकिन व्यवहार में अब भी सूचना टाल-मटोल का शिकार बनी हुई है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार—
“अगर किसी आवेदन का जवाब 30 दिनों में नहीं दिया जाता है, तो संबंधित जानकारी आवेदक को नि:शुल्क देनी होती है।”
ऐसे में एक ओर जहां कानून का उल्लंघन हो रहा है, वहीं, दूसरी ओर आम नागरिकों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है।
कमिश्नर जैन का एक्शन
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