
मुंगेली: जिले के सरगांव के रामबोड़ स्थित कुसुम स्मेल्टर प्लांट में हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया। प्लांट में 200 टन वजनी साइलो (कंटेनर) गिरने के कारण यह हादसा हुआ, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। कलेक्टर राहुल देव और पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के कुशल नेतृत्व में 40 घंटे से अधिक समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
भारी साइलो को हटाने में झोंकी गई पूरी ताकत
साइलो में लगभग 80 टन कोयले का डस्ट भरा हुआ था, जो इसे हटाने को बेहद कठिन बना रहा था। शुरू में छोटे क्रेन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन भारी वजन के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद तत्काल 400 टन क्षमता वाले क्रेन को बुलवाया गया। ऑपरेशन में साइलो का सब-स्ट्रक्चर काटने और डस्ट को निकालने में पूरी रात काम करना पड़ा। अंततः 30 घंटे की मेहनत के बाद साइलो को हटाने में सफलता मिली।
मृतकों की सूची और मुआवजा
हादसे में चार मजदूरों की मौत हुई, जिनमें शामिल हैं:
- अवधेश कश्यप, पिता निखादराम कश्यप (निवासी तागा, जांजगीर-चांपा)
- प्रकाश यादव, पिता परदेशी यादव (निवासी अकोली, बलौदाबाजार)
- जयंत साहू, पिता काशीनाथ साहू (निवासी जबड़ापारा, सरकंडा, बिलासपुर)
- मनोज धृतलहरे, जो घायल अवस्था में अस्पताल भेजे गए थे, लेकिन उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए बिलासपुर स्थित सिम्स अस्पताल भेजा गया है। मृतक परिवारों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, और विधायकों की संवेदनाएं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस हादसे पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की और स्थिति का जायजा लेने के लिए उप मुख्यमंत्री अरुण साव को घटना स्थल पर भेजा। उप मुख्यमंत्री के साथ बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक और मुंगेली विधायक पुन्नूलाल मोहले ने भी मौके पर पहुंचकर परिवारों को आवश्यक मदद का भरोसा दिलाया।
कलेक्टर-एसपी ने दिया भरोसा, दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
कलेक्टर राहुल देव ने हादसे को बेहद दुखद बताते हुए कहा, “रेस्क्यू ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया, लेकिन इस त्रासदी में जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके लिए प्रशासन हर संभव मदद करेगा।” उन्होंने कहा कि घटना की जांच की जाएगी और लापरवाही के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एसपी भोजराम पटेल ने भी मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि “इस दुख की घड़ी में जिला और पुलिस प्रशासन उनके साथ खड़ा है।”
रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की महत्वपूर्ण भूमिका
इस बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन ने पूरी तत्परता और कुशलता से काम किया। टीम ने रात-दिन मेहनत कर मजदूरों के शवों को निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने का कार्य किया।
हादसे से सबक, सुरक्षा पर जोर
यह हादसा प्लांट में सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर करता है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
रामबोड़ कुसुम स्मेल्टर प्लांट हादसा जिले के लिए एक बड़ा झटका है। इस दुखद घटना ने न केवल मजदूरों के परिवारों को गहरा आघात पहुंचाया है, बल्कि यह उद्योगों में सुरक्षा उपायों पर सवाल भी खड़े करता है। प्रशासन की तत्परता और रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता राहत देती है, लेकिन भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।