
मसअला जब भी चरागों का उठा है
फैसला हवाएं करती हैं।
केस के मुख्य जांच अधिकारी को 9 दिवसीय वन ड्राइवर भर्ती टेस्ट में तैनात किया गया
विकास मिश्रा की रिपोर्ट
बिलासपुर: 29 मार्च को वन विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिस पर पाँच लोगों का बयान दर्ज किया गया था, जिसमें महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे थे। मगर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आज इस केस के इंचार्ज रेंजर देव सिंह ठाकुर को 1 अप्रैल से 9 अप्रैल तक के लिए लगरा परिवहन केंद्र में 9 दिवसीय ड्यूटी पर भेज दिया गया है।
नगर में चर्चा जोर पकड़ रही है कि इस अटैचमेंट का सीधा असर कछुआ प्रकरण की जांच पर पड़ने के आसार हैं। 29 मार्च को वन विभाग रतनपुर में पाँच लोगों का बयान लिया गया था, जिसमें दो मछुआरे, एक ठेकेदार और दो ट्रस्ट के लोग शामिल थे।
ऐन वक्त पर जांच अधिकारी को महत्वपूर्ण केस से हटा कर अन्य सेवा में भेजे जाने से वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं नगर में केस की लीपापोती की चर्चाएँ जोर पकड़ रही हैं।
मंदिर कुंड में मिले मृत कछुओं की जांच वन विभाग रतनपुर के द्वारा की जा रही थी। इस क्रम में सीसीटीवी फुटेज, हार्ड डिस्क को जब्त कर तीन सुरक्षा कर्मियों और दो सफाई कर्मियों का महत्वपूर्ण बयान पहले ही लिया गया था। ऐसे में इस केस से जुड़े अन्य पाँच संदिग्धों के बयान के बाद माना जा रहा था कि अब जल्द ही इस प्रकरण में कार्यवाही होगी। मगर अचानक जांच अधिकारी को औचक रूप से जांच से हटा कर लूप लाइन में भेजा जाना, इस केस को ठंडे बस्ते में डालने और इस केस से जुड़े बड़े नामों को विभागीय प्रशासनिक रियायत देने के तौर पर देखा जा रहा है।
पूरे परिदृश्य में एक बात साफ है कि निरीह मृत कछुओं का यह केस अब प्रशासनिक रवैये के कारण मंजिल से भटकता नजर आ रहा है।
आगे इस केस में ऊंट किस करवट बैठता है, वक्त बताएगा!