
बिलासपुर शहर में पिछले कुछ दिनों से लगातार पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है। चाकू, तलवार और चापड़ जैसे घातक हथियारों के साथ बदमाश पकड़े जा रहे हैं। वहीं भारी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ भी बरामद किए गए हैं।
लेकिन सवाल यह है कि जब पुलिस इतने सख़्ती से कार्रवाई कर रही है तो अपराधी खुलेआम कैसे घूम रहे हैं? क्या अपराधियों को राजनीतिक या स्थानीय संरक्षण प्राप्त है?
हालिया कार्यवाहियाँ – नाम और अपराध सहित
1. योगेश चंद्राकर – मस्तूरी नहर किनारे चाकू लहराकर लोगों को धमकाया
- उम्र: 30 वर्ष, निवासी: भिलाई, थाना मस्तूरी
- जुर्म: आम जगह पर बटनदार चाकू से डराना, हथियार जप्त
- धारा: 25 आर्म्स एक्ट, गिरफ़्तारी और न्यायिक रिमांड
2. शेख रमजान – कंसा चौक में बटन वाला चाकू लेकर घूम रहा था
- उम्र: 24 वर्ष, निवासी: टिकरापारा, थाना सिटी कोतवाली
- धारा: 25 आर्म्स एक्ट, गिरफ्तारी
3. सरकंडा थाना – नाबालिग सहित तीन बदमाश गिरफ्तार
- विशाल पाटले (22), धर्मेश वैष्णव उर्फ कोको (22), एक नाबालिग
- जुर्म: चाकू और चापड़ से लोगों को धमकाना, रात में हथियार लेकर घूमना
- धारा: 25/27 आर्म्स एक्ट, गिरफ्तार
4. अरिहंत मिश्रा उर्फ प्रांशु – लोहे का चापड़ लेकर सड़क पर दहशत फैला रहा था
- उम्र: 27 वर्ष, निवासी: आईटीआई चौक, थाना कोनी
- धारा: 25 आर्म्स एक्ट, गिरफ्तार
5. रितेश ध्रुव – मंगला से 30 पाव देशी शराब के साथ पकड़ा गया
- उम्र: 19 वर्ष, निवासी: धुरीपारा, मंगला
- धारा: आबकारी एक्ट
6. विक्की पात्रे – तलवारनुमा हथियार के साथ कुदुदंड से गिरफ्तार
- उम्र: 27 वर्ष, निवासी: कुदुदंड
- धारा: 25, 27 आर्म्स एक्ट
7. 9 अन्य बदमाशों पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही
- नाम: कल्लू उर्फ धर्मेंद्र पटेल, अभिषेक यादव, रोहित सैनी, मुकेश यादव, कुनाल उईके, अंशुमन राव, अभिषेक एंथोनी, धनराज पात्रे, पोषण टोंडर
- क्षेत्र: मंगला, कुदुदंड, आजाद चौक, पानी टंकी, विकास नगर, सर्किट हाउस, तालापारा
284 किलो गांजा और iPhone के साथ दो तस्कर गिरफ्तार
- गिरफ्तार: गजेंद्र गोस्वामी, नयन कुमार
- स्थान: तोरवा थाना
- वाहन: सफेद अर्टिगा CG 04 OC 4577
- बरामद: 284 पैकेट गांजा (284 किलो), 2 Android मोबाइल, 1 iPhone
- कीमत: ₹35 लाख
- धारा: 20 (B)(2)(C) NDPS Act
तो फिर भी सवाल बाकी है – इतने अपराधी पकड़ने के बाद भी शहर में क्यों नहीं दिख रहा असर?
- क्या ये कार्यवाही सतही है और अपराधी जमानत पर फिर बाहर आ जाते हैं?
- क्या ये अपराधी संगठित गिरोह का हिस्सा हैं जो लगातार पुलिस को चुनौती दे रहे हैं?
- या फिर शहर में कोई स्थायी क्राइम कंट्रोल पॉलिसी ही नहीं है?
पुलिस की मुस्तैदी को सलाम, पर अब सरकार और जिला प्रशासन को जवाब देना होगा कि आखिर शहर में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं?