
“ऋषि उपाध्याय ने अधिमान्य पत्रकार दिलीप अग्रवाल को जाली पत्रकार कहकर प्रेस क्लब और छत्तीसगढ़ शासन की चयन समिति पर उठाए सवाल
अधिमान्य पत्रकार दिलीप अग्रवाल को ‘जाली’ कहने पर पत्रकारों में आक्रोश, दिलीप ने लगाए साज़िश के आरोप
बिलासपुर, पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, और इसके सम्मान की रक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। लेकिन बिलासपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक अधिमान्य पत्रकार की प्रतिष्ठा पर बिना किसी प्रमाण के सवाल उठाए गए हैं।
ऋषि उपाध्याय नामक व्यक्ति ने प्रेस क्लब सदस्य व छत्तीसगढ़ शासन से अधिमान्य पत्रकार दिलीप अग्रवाल को ‘जाली पत्रकार’ बताते हुए पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा है।
हालांकि, यह आरोप बिना किसी ठोस प्रमाण के लगाए गए हैं। दिलीप अग्रवाल वर्तमान में एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर हैं, उनके पास शासन से जारी अधिमान्यता है और वे बिलासपुर प्रेस क्लब के सक्रिय सदस्य भी हैं। यदि वे जाली पत्रकार होते, तो उन्हें न तो अधिमान्यता मिलती, न ही किसी बड़े चैनल में कार्य करने का अवसर।
इस तरह के आधारहीन आरोपों से पत्रकार समाज में आक्रोश व्याप्त है। पत्रकारों ने इस बयान को “गंभीर और मानहानिकारक” बताया है और इसे पत्रकारिता पर सीधा हमला माना है।
दिलीप अग्रवाल ने खुद आरोपों को खारिज करते हुए पुलिस महानिरीक्षक (IG) को एक विस्तृत पत्र सौंपा है।
अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने लिखा है कि हाल ही में उन्होंने राशन दुकानों में हो रही चावल की कालाबाज़ारी और अनियमितताओं को लेकर लगातार रिपोर्टिंग की थी। इससे कुछ दुकान संचालक नाराज़ थे और उन्होंने उन्हें बदनाम करने की साजिश रची। उन्होंने इसे अपने जनहित में किए जा रहे कार्यों के विरुद्ध एक सोची-समझी साज़िश बताया है।