बिलासपुर। उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर के आदेश की अनदेखी करना एक अधिकारी को भारी पड़ गया। जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर ने कनिष्ठ लेखा परीक्षक हेमंत शर्मा को उनके पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
मामला व्याख्याता (भौतिकी) श्रीमती मंजुश्री बर्मन के आवेदन से जुड़ा है। उन्होंने युक्तियुक्तकरण सूची में नाम शामिल किए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था, जिस पर उच्च न्यायालय ने 02 जुलाई 2025 को आदेश पारित किया था। आदेश के अनुसार, आवेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाना था। लेकिन समय सीमा बीत जाने के बाद भी संबंधित शाखा प्रभारी द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया।
इस लापरवाही को अदालत के आदेश की अवमानना माना गया और जिम्मेदारी सीधे तौर पर हेमंत शर्मा पर तय की गई। जिला शिक्षा अधिकारी विजय डे ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन है।
निलंबन अवधि में शर्मा का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बिल्हा रहेगा। उन्हें नियम अनुसार केवल जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।
आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
यह कार्रवाई शिक्षा विभाग में शिथिलता और नियमों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों के लिए एक सख्त संदेश मानी जा रही है।















