
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने चाइनीज मांझे से मासूम बच्चे की मौत और महिला अधिवक्ता के साथ हुई दुर्घटना को लेकर शासन की घोर लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बैंच ने इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुआवजे की राशि को बढ़ाने और चायनीस मांझे की बिक्री पर कड़ा प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर लताड़ते हुए पूछा था कि, “राज्य सरकार के प्रतिबंध के बावजूद बाजार में चाइनीज मांझा कैसे उपलब्ध हो रहा है?” इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा कि एक 7 साल के बच्चे की जान चली गई और एक महिला अधिवक्ता घायल हुई, फिर भी सरकार ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया?
आज की सुनवाई में शासन की ओर से बताया गया कि मृतक बच्चे के परिजनों को 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया है, लेकिन चीफ जस्टिस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “एक मासूम की मौत हुई है, और इस मामूली मुआवजे से क्या होगा? यह राशि बढ़ाई जानी चाहिए।” कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से सवाल करते हुए पूछा कि, “कैसे यह जानलेवा मांझा बिक रहा है, जबकि इस पर प्रतिबंध है? इस पर सरकार को कड़ाई से कदम उठाने चाहिए।”
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह चाइनीज मांझे की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।