
बिलासपुर, 12 अगस्त। ज़िंदगी और मौत के बीच 12 दिन तक जंग लड़ते एक 19 वर्षीय युवक ने आखिरकार जीत हासिल कर ली। 31 जुलाई की रात चोरभट्टी के पास मामूली कहासुनी ने खौफनाक रूप ले लिया—और विवाद इतना बढ़ा कि आरोपी ने युवक पर 17 बार चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिए।
खून से लथपथ युवक को सिम्स लाया गया तो हालत नाज़ुक थी—सांस टूट-टूटकर चल रही थी, छाती में गहरे घाव से फेफड़े फट चुके थे, हवा पूरे शरीर की त्वचा के नीचे फैल गई थी, और पेट के अंदरूनी हिस्से भी बुरी तरह चीर दिए गए थे।
ऐसे हालात में सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद तामकनंद और पीजी डॉक्टर गरिमा ने सेकंड गवांए बिना ऑपरेशन थियेटर में मोर्चा संभाला। एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. भावना रायजादा, डॉ. शीतल, डॉ. प्राची और नर्सिंग स्टाफ सिस्टर मीना ने जान की बाज़ी लगाकर साथ दिया।
ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने कट चुकी आंत को जोड़ा, फटे डायफ्राम की मरम्मत की और फेफड़ों को फिर से सांस लेने लायक बनाया। इस बीच सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने मामले को तत्काल संज्ञान में लेकर हर जरूरी दवा और उपकरण तुरंत उपलब्ध कराया।
कई घंटे की कठिन जद्दोजहद के बाद ऑपरेशन सफल हुआ—और मौत को मात देकर युवक ने होश संभाला। आज वह पूरी तरह स्वस्थ है और घर लौट चुका है, ज़िंदगी की दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार।