बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव तखतपुर के बेलसरी में जन्मे आनंद पांडे ने आज संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में अपनी विशेष पहचान बनाकर राज्य का मान बढ़ाया है। हाल ही में उन्हें छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया है, जो उनकी कड़ी मेहनत, लगन और अपनी मातृभूमि के प्रति निष्ठा का प्रमाण है।
छोटे से गांव से UNO तक का सफर
आनंद पांडे का जन्म 19 सितंबर 1977 को तखतपुर के बेलसरी गांव में हुआ। एक साधारण परिवार से आने वाले आनंद के पिता दुर्गा प्रसाद पांडे बाल्को में महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत थे। अपनी ग्रामीण पृष्ठभूमि से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने की उनकी यात्रा बहुत प्रेरणादायक है। वर्तमान में आनंद संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय, न्यूयॉर्क में वित्त और नीति विभाग में एक अहम पद पर कार्यरत हैं।
कठिन परिश्रम और समर्पण से पाया मुकाम
आनंद पांडे ने अपनी पढ़ाई और करियर के शुरुआती वर्षों में अनेक कठिनाइयों का सामना किया। कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवा परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल की, जो उनकी क्षमताओं और अथक परिश्रम का प्रतीक है। आनंद ने संयुक्त राष्ट्र में कई अहम विभागों, जैसे कानूनी मामले, आर्थिक और सामाजिक विभाग, और वित्तीय नीति व आंतरिक नियंत्रण, में कार्य किया है। उनके योगदानों के लिए उन्हें कई बार सराहा गया, और उन्होंने 2007 में यूएनडीपी मानव विकास पुरस्कार प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारतीय संस्कृति का दूत
संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यों के साथ-साथ, आनंद पांडे भारतीय और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संवर्धन के लिए भी समर्पित हैं। उन्होंने वहां एक भारतीय क्लब ‘सोसायटी’ का गठन किया, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है। उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य और उसकी सांस्कृतिक विरासत पर आधारित कई प्रदर्शनी भी आयोजित की गईं।
अपनी जड़ों से जुड़े रहने का जज़्बा
संयोगवश, आनंद पांडे इस दीपावली अपने माता-पिता, परिवार और दोस्तों के साथ बिलासपुर में मना रहे थे, जब उन्हें छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे जाने की खुशखबरी मिली। इतने ऊंचे पद पर होने के बावजूद आनंद अपने गांव और लोगों से जुड़े हुए हैं। उनकी सरलता और सहयोगी स्वभाव से हर कोई प्रेरित होता है।
एक प्रेरणा, खासकर युवाओं के लिए
आनंद पांडे की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणादायक है, जो बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं। छोटे से गांव से संयुक्त राष्ट्र संघ तक का उनका सफर हमें यह सिखाता है कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों, तो किसी भी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत, अनुशासन और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है, और आनंद पांडे इसका सटीक उदाहरण हैं।
उनके संघर्ष, परिश्रम, और छत्तीसगढ़ के प्रति उनके प्रेम ने न केवल उनके जीवन में बल्कि पूरे राज्य में गर्व का संचार किया है।