बिलासपुर/सांई आनंदम परिसर में साहित्यकार विजय कल्याणी तिवारी कृत “मुझमें एक कबीर” (731 दोहों से अलंकृत) कृति का विमोचन भव्य समारोह में किया गया।
विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि रहे 107 वर्षीय संतश्री रामगोपाल महाराज (मारुति धाम, देवरघटा, शिवरीनारायण)।
विशिष्ट अतिथियों में थावे विश्वविद्यालय बिहार के कुलपति एवं पूर्व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष भाषाविद् डॉ. विनय कुमार पाठक, न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बाजपेयी तथा वरिष्ठ पत्रकार व उपन्यासकार केशव शुक्ल उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि हरबंश शुक्ल ने किया तथा संपादकीय अतिथि के रूप में डॉ. रमेशचन्द्र सोनी उपस्थित रहे।
मुख्य उद्बोधन
🔹 संतश्री रामगोपाल महाराज ने कहा कि व्यक्ति जब वासनाओं, ईर्ष्या, पाखंड से ऊपर उठकर भक्ति में लीन होता है तभी समाज को दिशा देने वाली कृतियाँ संभव हो पाती हैं।
🔹 वरिष्ठ कवि हरबंश शुक्ल ने कहा – “कबीर आडंबर और पाखंड का विरोध कर समाज को सत्य के पथ पर ले जाते हैं, वही इस कृति का सार है।”
🔹 डॉ. विनय कुमार पाठक ने कृति को कबीर की परंपरा का परकाया प्रवेश बताया और कहा कि विजय तिवारी ने भाषा और भाव पक्ष को संतुलित करते हुए इसे अमर कृति बना दिया है।
🔹 न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बाजपेयी ने कहा कि विजय तिवारी समाज की कुचेष्टाओं के प्रतिकारक साहित्यकार हैं।
🔹 वरिष्ठ पत्रकार केशव शुक्ल ने कृतिकार को निरंतर सृजनशीलता और नवीन उपलब्धियों के लिए बधाई दी।
🔹 डॉ. रमेशचन्द्र सोनी ने कहा कि विजय तिवारी की रचनाधर्मिता कबीर के बहुभाषीय शब्द-संयोजन की समकक्षता लिए हुए है।
कार्यक्रम की झलक
स्वागत भाषण सजलकर मयंकमणि दुबे ने दिया तथा आभार प्रदर्शन वरिष्ठ कवि अमृतलाल पाठक ने किया।
इस मौके पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, कवि व श्रोता उपस्थित रहे।
विशेष उपस्थिति
कार्यक्रम में राजेश सोनार, ओमप्रकाश भट्ट, पूर्णिमा, विपुल तिवारी, अशोक वाजपेयी, अनिल दुबे, शंकर मिश्र, विजय गुप्ता, उषा तिवारी, रेखराम साहू, आनंद पांडे, अनिल पांडे, आर.एन. राजपूत, गजानंद पात्रे, बुधराम यादव, राकेश पांडे, कल्याणी तिवारी, ऊजली, आशीष तिवारी, आकांक्षा पांडे, तपन सिन्हा (अंबिकापुर), भरत चंदानी, ललित कुमार, शिव मंगल शुक्ल सहित अनेक साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस विमोचन ने साहित्य जगत में “मुझमें एक कबीर” को एक मील का पत्थर स्थापित कर दिया।















