न्यायधानी बिलासपुर में फायरिंग की घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि अपराधियों के हौसले आसमान छू रहे हैं और पुलिस का खौफ जमीन में कहीं दबा-डूबा पड़ा है। मस्तूरी क्षेत्र में नकाबपोश बदमाशों ने कांग्रेस नेता के दफ्तर पर आकर ताबड़तोड़ 10 से 11 राउंड गोलियाँ दागीं और आराम से हवा काटते हुए चलते बने। यह घटना कोई फिल्मी दृश्य नहीं, बल्कि हमारे पुलिस प्रशासन की नाकामी का जीवंत प्रसारण है।
सवाल यही कि जब जनपद उपाध्यक्ष के कार्यालय तक बदमाश बेखौफ गोलियाँ चला सकते हैं, तो आम नागरिक खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करे?
मस्तूरी में फायरिंग, दो घायल; नितेश सिंह के दफ्तर को बनाया निशाना

मंगलवार शाम तिवारी होटल के सामने स्थित जनपद उपाध्यक्ष नितेश सिंह के कार्यालय पर तीन नकाबपोश बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दहशत फैला दी। बाइक से पहुंचे आरोपियों ने 10 से 11 राउंड गोलियाँ चलाईं, जिसमें चन्द्रकांत सिंह और राजू सिंह घायल हो गए। दोनों को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना के दौरान नितेश सिंह ने बचाव करते हुए आरोपियों पर कुर्सी फेंकी, जिसके बाद हमलावर मौके से फरार हो गए। पुलिस अज्ञात हमलावरों की तलाश में जुटी है और CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
पुलिस कहती है जांच जारी है।
कब तक जारी रहेगी यह जांच?
कब तक जारी रहेगा अपराधियों का तांडव?
शहर में कभी चाकू, कभी पिस्टल, कभी लूट, कभी छेड़छाड़। हर बार घटना के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस और वही घिसा-पिटा बयान:
“जल्द खुलासा होगा, टीम गठित कर दी गई है।”
जनता अब पूछ रही है:
खुलासे कब होंगे? पकड़ कब होगी? नतीजे कब दिखेंगे?
अपराधियों में पुलिस का डर नहीं है, क्योंकि न तो गिरफ्तारी हो रही और न ही उदाहरण पेश करने वाली कार्रवाई। जब बदमाश जान जाते हैं कि परिणाम नहीं आएंगे, तब अपराध उनके लिए खेल बन जाता है।
याद रखिए…
जहाँ कानून डर जाता है, वहाँ अपराधी राजा बन जाता है।
जहाँ पुलिस सिर्फ बयान देती है, वहाँ गोलियाँ जवाब देती हैं।
समय आ गया है कि प्रशासन सोती हुई व्यवस्था को जगाए, अपराधियों पर नकेल कसे और यह साबित करे कि बिलासपुर सिर्फ न्यायधानी का नाम भर नहीं, बल्कि न्याय की रक्षा करने वाला शहर है।
अगर अब भी सख्ती नहीं हुई
तो जनता सिर्फ अपराधियों से नहीं, बल्कि
डरपोक सिस्टम से भी लड़ने पर मजबूर होगी।















