
छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मचारियों के लिए कैशलेश चिकित्सा सुविधा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। राज्य विधानसभा के चल रहे बजट सत्र में इंदरशाह मंडावी ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से पूछा कि क्या विभिन्न संगठनों द्वारा शासकीय कर्मचारियों के लिए कैशलेश चिकित्सा सुविधा की मांग की गई है। विधायक ने यह भी जानना चाहा कि यह सुविधा कब तक लागू की जाएगी। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया कि विभिन्न संगठनों द्वारा कैशलेश चिकित्सा योजना की मांग की गई है, लेकिन इसे लागू करने के लिए कोई तय समय सीमा नहीं दी जा सकती है।
इस संदर्भ में कर्मचारी नेता सुनील यादव ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि वे इंदरशाह मंडावी का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने कर्मचारियों की संवेदनशील मांग को विधानसभा में उठाया। उन्होंने आगे कहा, “हम कर्मचारी संघों की ओर से कई बार मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, और वित्त मंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं। हमारी यह मांग है कि कैशलेश चिकित्सा बीमा लागू होने से कर्मचारियों को इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।”
सुनील यादव ने यह भी बताया कि वर्तमान में चिकित्सा प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया में कर्मचारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि किसी कर्मचारी को गंभीर बीमारी होती है, तो उन्हें इलाज के लिए तुरंत 5 लाख रुपये की राशि का इंतजाम करना पड़ता है। इलाज के बाद जब चिकित्सा प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया होती है, तो लगभग 20 से 25 प्रतिशत राशि की वापसी नहीं होती है और कई बार बिल का भुगतान करने में भी कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि कर्मचारियों के लिए कैशलेश बीमा योजना लागू की जाए ताकि इलाज के दौरान उन्हें किसी प्रकार की वित्तीय परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, बजट में चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्रक्रिया को समाप्त करते हुए कैशलेश भुगतान के लिए प्रावधान किया जाए। साथ ही रुके हुए महंगाई भत्ते का भुगतान और चार स्तरीय पदोन्नति वेतनमान जैसी समस्याओं का समाधान भी होना चाहिए।”
कर्मचारी नेताओं का यह कहना है कि इस कदम से कर्मचारियों को राहत मिलेगी और वे अपनी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ बिना किसी परेशानी के उठा सकेंगे।