बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार शहर से सांड, भैंस, गाय और कुत्तों को हटाने में पूरी तरह फिसड्डी साबित हुए

बिलासपुर.. news hub insight

वैसे तो सांड, भैंस,गाय पशुधन विभाग, डेयरी व्यवसाय या खेत खलिहान में रहें या दिखें तो अच्छा लगता है। अगर ये सब जानवर किसी शहर के चौक चौराहे और बीच रोड में घूमते फिरें तो क्या गज़ब का नज़ारा होगा। अगर ये तमाम पशुओं की नुमाइश शहर के बीचों बीच देखना है तो आप छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर शहर आ जाइए, शहर में आवारा पशुओं का हुजूम नज़र आ जाएगा।

वैसे तो छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले को केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी की सूची में स्थान दिया हुआ है , अरबों रुपए का बजट भी दिया , लेकिन बिलासपुर शहर के नेताओं और  समय – समय पर पदस्थ रहे बड़े अधिकारियों ने मिलकर बिलासपुर शहर को बर्बाद कर दिया। आपको नीचे दिए हुए तस्वीरों से साफ हो जायेगा की यहां के नेता और अधिकारी कितने स्मार्ट है। नीचे दी हुई तस्वीरें नेताओं और अधिकारियों की स्मार्टनेस साफ बयां करतीं हैं।

हमारे पाठकों को यह भी बता दें कि जैसे ही हाईकोर्ट से अधिकारियों को फटकार पड़ती है तब अधिकारी कुछ समय के लिए ही शहर से जानवरों को हटाने में दिलचस्पी दिखाते हैं, थोड़े दिनों बाद फिर पुराने ढर्रे में आ जाते हैं। कई सालों से शहर में ये ही ढर्रा देखा जा रहा है। अधिकारी बेखौफ और बेलगाम हो चुके हैं। इन आवारा पशुओं की वजह से कई बार गंभीर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, हाई कोर्ट के स्वतः संज्ञान लेने के बावजूद भी अधिकारी अपनी मनमानी नहीं छोड़ रहे हैं, हाई कोर्ट जब तक अधिकारियों के मामले में सख्त कार्यवाही नहीं करेगा, इस शहर का कुछ होने वाला नहीं है

नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव की जिम्मेदारी

अरुण साव बिलासपुर लोकसभा सीट से 2019 से सांसद चुने गए थे, अभी वे बिलासपुर जिले के लोरमी विधानसभा से विधायक हैं , वर्तमान में अरुण साव भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री के साथ साथ नगरीय प्रशासन, लोक निर्माण विभाग के मंत्री भी हैं, इन सबके बावजूद अरुण साव बिलासपुर के विकास के लिए कुछ कर पाने में असमर्थ और असहाय नजर आते हैं, आपको बता दे अरुण साव पेशे से काफी लंबे समय से वकालत भी करते आए हैं, सरकारी वकील और बिलासपुर हाईकोर्ट में उच्च सरकारी पदों में भी रहे हैं, मतलब ये की साव को प्रशासनिक कामों का भी अनुभव प्राप्त है , बावजूद इसके बिलासपुर शहर के कार्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने में पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं।

बिलासपुर की बदहाल व्यवस्था के लिए कौन-कौन जिम्मेदार

बिलासपुर की बदहाल व्यवस्था के पीछे लोक निर्माण विभाग और नगर निगम  जिम्मेदार है, ये दोनों विभागों के बड़े अधिकारियों को तत्काल उच्च स्तरीय बैठक लेकर शहर और आस पास के इलाकों से अतिक्रमण हटाना चाहिए। अधिकारियों को फील्ड में जाकर त्वरित कार्यवाही को अंजाम देना चाहिए। तमाम समीक्षा बैठकें का नतीजा अभी तक तो शून्य ही नजर आता है।

अब बिलासपुर शहर की इज्जत हाईकोर्ट के भरोसे

बिलासपुर में पदस्थ तमाम बड़े अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण ज्यादातर मामलों में बिलासपुर हाईकोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना पड़ रहा है । बिलासपुर की सड़कों में सांड, भैंस, गाय, कुत्ते हों या लोक निर्माण विभाग की कचरा सड़कें हों, सब मामलों में हाईकोर्ट ही संज्ञान ले रहा है। बिलासपुर में पदस्थ बड़े अधिकारियों को हाईकोर्ट समय-समय पर फटकार भी मारते रहता है, लेकिन अधिकारियों को हाईकोर्ट की फटकार से कोई फर्क नहीं पड़ता, नीचे दिए हुए तस्वीरों से ये साफ हो जाता है। हाई कोर्ट  जब तक बड़े अधिकारियों के ऊपर सख्त कार्यवाही नहीं करेगा तब तक ये अधिकारी बिलासपुर की जनता के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे।

बिलासपुर शहर के जिम्मेदार अधिकारियों को जल्दी ही अपनी जवाबदारी समझते हुए इस शहर के विकास की ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे यहां की जनता को सहूलियत हो और वो अपने रोजमर्रा के कार्यों को सुचारू रूप से कर सकें।

इन नेताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए

तोखन साहू (सांसद, बिलासपुर, केंद्रीय राज्य मंत्री), अरुण साव (नगरीय प्रशासन एवं अन्य), बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल की जवाबदेही बनती है की जल्द से जल्द बिलासपुर शहर और आस पास के इलाकों से गाय, भैंस, सांड और खूंखार कुत्तों से शहर को निजात दिलाएं। ये तीनों नेताओं से शहर को एक बार फिर उम्मीदें हैं, देखना है आने वाले समय में ये तीनों नेता शहर की सूरत बदलते हैं की नहीं, हमे भी इंतजार रहेगा और हमेशा हमारी नजर इन पर रहेगी।

आने वाले एपिसोड्स में हम आपको ये बताएंगे कि कैसे बिलासपुर में समय-समय में पदस्थ रहे बड़े अधिकारियों ने शहर को कितना स्मार्ट बनाया ।

 

बहुत बहुत शुक्रिया

 

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