
बिलासपुर – स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर के एक प्रमुख जतिया तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य पूरा कर लिया गया है, जिसके लिए 5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल तालाब की सुंदरता में वृद्धि करना था, बल्कि आसपास के नागरिकों को स्वच्छ और सुंदर जल संरचना भी प्रदान करना था।
हालांकि, इस पूरे प्रोजेक्ट में बड़ा अनियमितता का मामला सामने आया है। जल स्तर को बनाए रखने और तालाब में पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए संबंधित अधिकारियों ने बिना ट्रीटमेंट के सीवरेज का पानी तालाब में छोड़ दिया है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि ऐसा कदम न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि इस कदम ने तालाब की जैव विविधता पर भी बुरा असर डाला है।
स्थानीय निवासियों का आक्रोश
तालाब में गंदे पानी के मिश्रण से तालाब की स्थिति बदतर हो गई है, और वहां उठने वाली दुर्गंध से आसपास के क्षेत्र के लोग परेशान हैं। निवासियों ने संबंधित अधिकारियों पर लापरवाही और पर्यावरण के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगाया है। एक निवासी ने कहा, “स्मार्ट सिटी के नाम पर 5 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन तालाब की हालत पहले से भी खराब हो गई है। अधिकारी जनता के पैसों का सही उपयोग नहीं कर रहे हैं।”
पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि बिना ट्रीटमेंट के सीवरेज का पानी किसी भी जल संरचना में मिलाना बेहद हानिकारक है। इससे तालाब के पारिस्थितिक तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिसमें मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीवन प्रभावित होता है। एक विशेषज्ञ ने बताया, “यह कदम तालाब को स्थायी रूप से प्रदूषित कर सकता है। स्मार्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य प्रदूषण को रोकना और विकास करना है, न कि पर्यावरण को हानि पहुंचाना।”
MD ने दिए जाँच के आदेश
मामला उजागर होने के बाद अमित कुमार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। अमित ने बताया कि इस संबंध में उचित जांच की जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भविष्य की दिशा
यह मामला केवल एक तालाब का नहीं है, बल्कि स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले विकास कार्यों की गुणवत्ता और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करता है। यदि समय रहते इस मामले पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पर्यावरण और सार्वजनिक संसाधनों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है।