
9 अप्रेल को हाई कोर्ट के संज्ञान पर देना होगा शपथ पत्र
विकास मिश्रा की रिपोर्ट
बिलासपुर: आज 03 अप्रेल दोपहर लगभग डेढ़ बजे, जिला सत्र न्यायलय मेँ सतीश शर्मा द्वारा लगाए गए अग्रिम जमानत की अर्जी को जिला सत्र के विद्वान न्यायधीश सिराजुद्दीन कुरैशी जी नें अस्वीकार करते हुए रद्द कर दिया !
सनद रहे कि माननीय हाई कोर्ट द्वारा 26 मार्च को इस प्रकरण मेँ स्वतः संज्ञान लेते हुए 13 अप्रेल को कार्यवाही विषयक शपथपत्र की माँग संबंधित विभागों से की है! इस प्रकरण मेँ प्रधान वन संरक्षक वन विभाग छत्तीसगढ़, प्रकरण प्रभारी प्रभारी सहित तमाम लोगों की जवाबदेही तय हुई है !
सोचनीय विषय है कि माननीय हाई कोर्ट के स्वतः संज्ञान लेने के बावजूद कछुआ प्रकरण फिलहाल केस के जाँच अधिकारी के दस दिवसीय अटैचमेंट के वज़ह से बाधित है, वन विभाग के शीर्ष अधिकारी इस विषय मेँ मौन हैं !
आज जिला सत्र न्यायलय मेँ क्या हुआ ?
कछुआ प्रकरण मेँ वन विभाग द्वारा अपराध क्रमांक 17774/01 दिनाँक 25/03/2025 के तहत अपराध दज: किया गया है तथा वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 के अन्तर्गत अवाहन पत्र (समन्वय) का नोटिस दिनाँक 27/03/2025 को जारी कर भेजा गया था, आज अग्रिम जमानत के आवेदन मेँ सतीश शर्मा उपाध्यक्ष महामाया ट्रस्ट द्वारा मंदिर कुंड को मंदिर ट्रस्ट अधीनस्थ बताते हुए हर वर्ष कुंड की सफाई की बात स्वीकार की गई, परन्तु मजेदार बाद ये थी कि पहली बार मछली की अधिकता और कुंड से आ रही बदबू के कारण रात्रि 12 बजे कुंड से मछली निकालने और सफाई कार्य को पूर्ण किया इस लिहाज से कुंड मेँ मछलियों का वजन कितना होना चाहिए था ये शोध का विषय है !
सतीश शर्मा नें अपने आवेदन मेँ मृत कछुओं को कुंड के पास पाया जाना बताया है जबकि सोशल मिडिया मेँ कुंड के बीच से कुछ स्थानीय लोगों द्वारा जाल मेँ फंसे मृत कछुओ को रस्सी से खींच कर कुंड से बाहर निकालते देखा जा सकता है इस पूरे घटना क्रम के दौरान कुंड के आसपास प्रत्यक्षदर्शी भी मौजूद थे !
जबकि वन विभाग द्वारा इस अग्रिम जमानत के विरुद्ध दिए गए आवेदन मेँ केस डायरी के अनुसार 23 नग सिजन कछुओं का अवैध शिकार की बात कही गई है, कुंड मेँ मिले मृत कछुए वन्य प्राणी संरक्षणअधिनियम की अनुसूची-1 के अन्तर्गत इंडियन ब्लैक सॉफ्टसेल टर्टल (कछुआ) के श्रेणी मेँ आता है और उनकाअवैध शिकार /आखेट धारा-9 के तहत प्रतिबंधित है !
माननीय जिला न्यायलय नें कहा कि विवेचना अभी प्रारंभिक स्तर पर है और मामला वन्य
प्राणी संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अनुसूची-1 के वन्य पशु केअवैध शिकार से सबंधित होने के आधार पर से गंभीर प्रकृति का है, ऐसी स्थिति में इस स्तर पर आवेदक/आरोपी का प्रकरण अग्रिम जमानत का लाभ दिए जाने हेतु उचित प्रकरण नहीं है, कहते हुए याचिका को निरस्त कर दिया !
धार्मिक परिसर मेँ 23 कछुओं की संदिग्ध मौत वाले इस प्रकरण को लेकर नगर मेँ गहरा असंतोष और आक्रोश देखा जा रहा है ,जन मानस मेँ चर्चा का विषय बना हुआ है कि वन विभाग की सुस्त कार्यवाही के पीछे वन विभाग के आला अफेसरों पर पड़ने वाला दबाव तो कारण नहीं है, क्योंकि माननीय हाई कोर्ट के संज्ञान के बावजूद अभी तक आरोपियों स्वछंद घूम रहें है ऐसे मेँ इस प्रकरण पर कभी भी नगर का गुस्सा फूट सकता है, इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल विधि सम्मत कार्यवाही की दरकार है !