बिलासपुर: सरकण्डा पुलिस ने हाल ही में जिस वेश्यावृत्ति गिरोह का भंडाफोड़ किया है, उसने यह साबित कर दिया है कि मासूम बेटियों की सुरक्षा अब घर-गली की दीवारों तक सीमित नहीं रही। 9वीं कक्षा तक पढ़ी एक नाबालिक बच्ची घर से नाराज होकर निकली, लेकिन उसके जीवन की दिशा मोड़ दी कालिका तिवारी और विकास उर्फ विक्की भोजवानी जैसे अपराधियों ने।
पीड़िता की सहेली और उसकी मां कालिका तिवारी ने भरोसे का खंजर घोंपा और हवस के सौदागर विक्की भोजवानी के साथ मिलकर मासूम को रायगढ़ ले जाकर दलदल में उतार दिया। शराब पिलाई गई, मारपीट की गई और जबरन अनजान पुरुषों के पास भेजा गया। यह केवल अपराध नहीं, यह सभ्यता के नाम पर धब्बा है।
सबसे बड़ा सवाल – विक्की भोजवानी पहले भी पिटा एक्ट में पकड़ा गया था, फिर आज़ाद क्यों घूम रहा था? अगर कानून ने पहले ही उदाहरण पेश किया होता, तो शायद एक और बच्ची का भविष्य नष्ट होने से बच जाता।
कालिका तिवारी का नाम यह दिखाता है कि अपराधी केवल अजनबी नहीं होते, वे रिश्तों के नकाब में भी छिपे रहते हैं। यह घटना हमें चेताती है कि समाज में हर माता-पिता, हर पड़ोसी और हर नागरिक को सतर्क रहना होगा।
यह मामला सिर्फ पुलिस की सफलता नहीं, बल्कि समाज की नाकामी भी है।
अगर आज कालिका तिवारी और विक्की भोजवानी जैसे दरिंदों को कठोरतम सज़ा नहीं दी गई, तो कल न जाने कितनी और मासूम बेटियाँ इसी दलदल में धकेल दी जाएंगी।
संदेश साफ़ है – नाबालिक बेटियों का जीवन बर्बाद करने वालों को समाज और कानून दोनों मिलकर ऐसा दंड दें कि अगली पीढ़ी तक खौफ़ बैठ जाए।















