
बिलासपुर। जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जुआ एक्ट के तहत जब्त रकम को मालखाना में जमा न करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दाण्डिक प्रस्तुत लिपिक हेमन्त ताम्रकार को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। यह मामला 25 वर्ष पुराना था, जिसकी अंतिम सुनवाई 9 जनवरी 2025 को हुई।
आरोप था कि सितंबर 1998 से पहले और बाद तक विभिन्न थानों से जुआ एक्ट के तहत राजसात की गई रकम 10,194 रुपये को लिपिक ने मालखाना में जमा नहीं कराया और स्वयं उपयोग किया। मामले की जांच सिविल लाइन पुलिस ने की थी और आरोपित को 24 फरवरी 2001 को धारा 409 के तहत गिरफ्तार किया था। जुलाई 2002 से मामले की सुनवाई शुरू हुई थी और इस दौरान 20 गवाहों व 11 दस्तावेजों का प्रतिपरीक्षण किया गया।
सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती सविता सिंह ठाकुर ने कहा कि मालखाना में जमा की गई संपत्ति से संबंधित रजिस्टर की पुष्टि नहीं हो पाई थी, और फर्द चालान में माल ले जाने वाले हेड मुहर्रिर के हस्ताक्षर व थाने का सील नहीं था। इसके अलावा, जुआ के मामलों को समरी प्रकृति का माना जाता है, और आरोपी द्वारा जुर्म स्वीकार किए जाने पर मामले को उसी दिन समाप्त कर दिया जाता है। इन सभी आधारों पर आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हो पाए।
आरोपी की ओर से अधिवक्ता सुरेश पाण्डेय, सतीश ठाकुर और राजेन्द्र श्रीवास ने पैरवी की थी। 25 साल बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।