
बिलासपुर। राजधानी से लेकर न्यायधानी तक पुलिस महकमे में मंगलवार को हड़कंप मच गया, जब बिलासपुर जिले के पुलिस कप्तान रजनेश सिंह के कार्यालय में एक युवक ने सायबर सेल में पदस्थ प्रधान आरक्षक पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत सौंपी। शिकायत के मुताबिक, आरोपी प्रधान आरक्षक आसिफ पारिख फर्जी सिम के जरिए सट्टा, शराब, रेत, कबाड़ और अन्य अवैध कारोबारियों से हर महीने लाखों रुपये की उगाही करता है।
सूत्रों के अनुसार, शिकायत में जिस मोबाइल नंबर का जिक्र किया गया है, वह पूरी तरह फर्जी दस्तावेजों पर जारी कराया गया था और वर्षों से विभाग के भीतर “वसूली के संसाधन” के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस नंबर के जरिए न केवल बिलासपुर, बल्कि आसपास के जिलों के अवैध कारोबारियों से भी संपर्क साधा जाता है और तय तारीख पर रकम न मिलने पर सीधे धमकी भरे कॉल किए जाते हैं।
क्राइम ब्रांच दफ्तर में बुलाकर वसूली का आरोप
शिकायत में यह भी कहा गया है कि प्रधान आरक्षक खाकी का डर दिखाकर बेगुनाह लोगों को क्राइम ब्रांच के दफ्तर बुलवाता और उन्हें झूठे केस में फंसा देने की धमकी देकर रकम ऐंठता था। वसूली का यह खेल विभाग के निचले स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों तक हिस्सेदारी में बांटा जाता था, ऐसा सूत्रों का दावा है।
मोबाइल नंबर की जांच से खुलेगा राज?
मामले की तह तक जाने के लिए इस फर्जी सिम का लोकेशन, CDR और रजिस्ट्रेशन डिटेल खंगालना बेहद अहम माना जा रहा है। यही वह कड़ी है जो इस पूरे नेटवर्क के मास्टरमाइंड को उजागर कर सकती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पुलिस इस सिम को बरामद कर पाएगी, या फिर सबूतों को नष्ट कर दिया जाएगा।
पहले भी आए ऐसे मामले
यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी पुलिसकर्मी पर उगाही के आरोप लगे हों। पहले भी बिल्हा और रतनपुर में ऐसे प्रकरण सामने आ चुके हैं, जहां निचले स्तर के कर्मियों को बलि का बकरा बनाकर उच्च अधिकारियों को बचा लिया गया। अब देखना यह होगा कि इस बार SSP रजनेश सिंह कितनी गंभीरता से मामले की जांच करवाते हैं और क्या वाकई बड़े चेहरों तक कार्रवाई की गाज गिर पाती है।
जनता की निगाहें पुलिस की निष्पक्षता पर
यह मामला पुलिस महकमे की छवि पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर आरोप सही साबित हुए तो यह न केवल खाकी के दामन पर दाग होगा, बल्कि विभाग की ईमानदारी पर भी जनता का भरोसा डगमगा सकता है। अब सबकी नजर SSP के अगले कदम पर टिकी है।