
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की बैठक: कई कर्मचारियों पर हुई कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही
बिलासपुर: जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या0 के स्टाफ उप समिति की महत्वपूर्ण बैठक कलेक्टर एवं प्राधिकृत अधिकारी अवनीश शरण की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में उप आयुक्त सहकारिता, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएँ बिलासपुर, कृषि विभाग के उप संचालक, और बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सचिव के रूप में शामिल हुए। बैठक में बैंक कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के कई निर्णय लिए गए।
प्रमुख निर्णय और कार्यवाही:
1. श्रीमती हर्षिता पटेल (कनिष्ठ लिपिक, निलंबित):
श्रीमती हर्षिता पटेल पर एटीएम कार्ड के माध्यम से खाताधारकों के खातों से लाखों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप सिद्ध हुआ। बैंक की प्रारंभिक और विभागीय जांच में यह पाया गया कि खाताधारकों के बिना आवेदन के ही एटीएम कार्ड जारी किए गए और सक्रिय किए गए, जिससे कुल ₹5,57,000.00 की राशि का गबन किया गया।
विवेचना और जांच के आधार पर निम्न निर्णय लिए गए:
- सेवा से पृथक किया गया।
- गबन की गई राशि मय ब्याज वसूली के लिए सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 64/84 के तहत सक्षम न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा।
- विभागीय जांच में संतोषजनक जवाब प्रस्तुत न करने और गबन स्वीकारने के कारण यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया।
2. धर्मेंद्र कुमार साहू (भृत्य):
श्री धर्मेंद्र कुमार साहू की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता पाई गई। बैंक के विज्ञापन में छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना अनिवार्य था, लेकिन नियुक्ति के समय प्रस्तुत दस्तावेज़ अपूर्ण पाए गए।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि:
- नियुक्ति के वर्षों बाद स्थानीय निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया।
- प्रारंभिक जांच और उत्तर समाधानकारक नहीं पाए गए।
निर्णय: उन्हें सेवा से पृथक कर दिया गया, क्योंकि वे बैंक कर्मचारी सेवा नियम 1982 के गंभीर दंड अंतर्गत दंडनीय पाए गए।
3. श्रीमती रुचि पांडेय (लिपिक सह कम्प्यूटर ऑपरेटर):
श्रीमती रुचि पांडेय ने बैंक के विभिन्न मदों के खातों से ₹1,43,988.00 अपने व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरित कर गबन किया। विभागीय जांच में यह आरोप सिद्ध हुआ।
निर्णय:
- उन्हें निम्नतर वेतनमान में पदावनत किया गया।
- भविष्य में वे केवल प्रारंभिक वेतनमान पर वेतन वृद्धि पाने की पात्र होंगी।
- उनके स्पष्टिकरण और उत्तर को समाधानकारक नहीं पाया गया।
4. श्रीमती अनामिका साव (प्रशा. प्र.) और श्रीमती अनुपमा तिवारी (लिपिक सह कम्प्यूटर ऑपरेटर):
श्रीमती रुचि पांडेय द्वारा गबन की गई राशि के लिए इनकी आईडी का उपयोग किया गया। हालांकि, इनकी सीधी संलिप्तता प्रमाणित नहीं हुई, लेकिन लापरवाही के कारण बैंक को आर्थिक नुकसान हुआ।
निर्णय: इन दोनों की दो वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकी गई।
5. अशोक कुमार पटेल (लिपिक सह कम्प्यूटर ऑपरेटर):
श्री अशोक कुमार पटेल पर कम रकबे वाले कृषकों के लिए अधिक रकबा दर्शाकर अनाधिकृत राशि आहरित कराने का आरोप सिद्ध हुआ।
निर्णय:
- उनकी भी दो वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकी गई।
- तात्कालीन शाखा प्रबंधक के बयान और सहकारिता विभाग के जांच प्रतिवेदन में उनकी संलिप्तता प्रमाणित हुई।
अनुशासनात्मक कार्रवाई के उद्देश्य:
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि बैंक की छवि और खाताधारकों के हितों को बनाए रखना सर्वोपरि है। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामलों में कड़ी सजा दी जाएगी। बैंक प्रशासन ने कर्मचारियों को नियमों के पालन और ईमानदारी से कार्य करने की सख्त हिदायत दी है।
प्रभाव और भविष्य की रणनीति:
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी और नियमों का पालन किया जाएगा। साथ ही, दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी तेज की जाएगी। बैंक प्रशासन ने खाताधारकों को विश्वास दिलाया है कि उनकी जमा राशि और बैंक की विश्वसनीयता को सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।