सवाल अलग-अलग, जवाब एक जैसा – साव जी का नया स्टाइल।”
“रटा-रटाया 140 करोड़ – जनता को समझा रहे थे या खुद को?”
“कॉन्फ्रेंस कम, जुमला शो ज्यादा।”
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव रविवार को न्यू सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे तो उन्हें लगा कि जीएसटी सुधारों की तारीफ करके तालियां बटोर लेंगे। लेकिन जैसे ही पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछने शुरू किए, उनका पूरा जवाब बस एक लाइन पर अटक गया— “140 करोड़ लोगों को फायदा हो रहा है।”
चाहे सवाल टीवी-फ्रिज की कीमतों पर हो, रोजमर्रा के खर्चों पर या फिर राज्य की चुनौतियों पर— साव बार-बार वही रटा-रटाया जवाब देते रहे। नतीजा यह हुआ कि प्रेस कॉन्फ्रेंस सवाल-जवाब से ज्यादा एकतरफा बयानबाजी बनकर रह गई।
“140 करोड़” का मंत्र उन्होंने इस कदर दोहराया कि पत्रकारों के बीच फुसफुसाहट शुरू हो गई— “क्या ये प्रेस कॉन्फ्रेंस है या रेकॉर्डेड टेप?”
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर साव किसे समझाने आए थे— पत्रकारों को, जनता को या खुद को? ज्यादातर लोग इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को “140 करोड़ का जुमला शो” कहकर चुटकी ले रहे हैं।
अरुण साव की प्रेस कॉन्फ्रेंस अब चर्चा में है। पत्रकारों को सही ढंग जवाब न मिल सका, लेकिन विरोधियों को मजे लेने का पूरा मौका मिल गया।
बिलासपुर की सड़कों पर पिछले कुछ महीनों से जिस तरह का खतरनाक ट्रेंड देखने को मिल रहा है, वह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि सामाजिक गैर-जिम्मेदारी की पराकाष्ठा है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है—पाँच महीनों में 14 मामले दर्ज, 33 वाहन जब्त, 72 आरोपी गिरफ्तार। लेकिन सवाल यह है कि आखिर स्टंटबाज़ों पर यह कड़ी कार्रवाई भी असरदार क्यों नहीं हो रही? सड़कें रेस ट्रैक नहीं हैं, और न ही खुलेआम बर्थडे सेलिब्रेशन का मंच। फिर भी कुछ युवा सोशल मीडिया की चकाचौंध और…
बिलासपुर: महाराणा प्रताप महाविद्यालय उस्लापुर में छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के मौके पर पारंपरिक स्वाद और संस्कृति की अनोखी महक बिखेरते हुए छत्तीसगढ़ी व्यंजन मेला धूमधाम से आयोजित किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ शिवाजी राव शिक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.एल. गोयल और प्राचार्य डॉ. अनिता सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। उद्घाटन के बाद विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ी भाषा के महत्व, उसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय बोलियों की प्रतिष्ठा के बारे में अवगत कराया गया। मेले में छात्रों ने फरा, चौसेला, चीला, धुस्का, भजिया जैसे पारंपरिक व्यंजनों…