
वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्रा (रतनपुर) की कलम से
अनसुलझे सवाल –
विक्रमादित्य बेताल को पीठ पर लादे घने जंगलो से होकर मंजिल की ओर चला जा रहा था। बेताल मेँ हँसते हुए कहा -बडा जिद्दी है रे तू! मुझे पकड़ ही लेता है हर बार, रास्ता लम्बा है, और तू नें चुप रहने का वादा भी किया है तो चल मैं तुझे एक कहानी सुनाता हूँ, रास्ता भी कट जायेगा और मुझे तेरी न्यायप्रियता का अंदाजा भी हो जायेगा
तो कहानी ये है कि छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले मेँ एक कस्बा है मणिपुर वहाँ एक बड़ा ही प्रसिद्द देवी का मंदिर है, जिसका संचालन एक पब्लिक ट्रस्ट करता है! जिसके पास मंदिर सुरक्षा के लिए चप्पेचप्पेमेँ सी सी टीवी की व्यवस्था है, मंदिर प्रांगण चारो ओर से ऊँची दीवार से घिरा हुआ है, मेन गेट रात्रि मेँ हमेशा बंद कर नगर सैनिक भीतर रखवाली करते हैँ।
मंदिर से लगे कुंड मेँ दो दर्जन से अधिक कछुए जाल मेँ फंसे मृत स्थिति मेँ पाए गए। पूरे नगर मेँ खबर फ़ैल गई, लोग कुंड के आसपास इकट्ठा हो गए!
सुबह कुंड से बाहर निकाले जाने बाद मृत कछुओं को किसी नें कुंड से कुछ दूर कूड़े मेँ फेंक दिया, मंदिर ट्रस्ट की सूचना के बाद वनकर्मी कछुओं को लेकर पोस्टमार्टम के लिए लेकर चले गए मगर मजेदार बात ये है कि ट्रस्ट नें इसकी सूचना थाने को नहीं दी!
ये ख़बर पोर्टल और चैनल्स से होते हुए सुबह अखबारों की सुर्खियों मेँ था इसलिए उच्च न्यायलय के एक संवेदनशील जज द्वारा इस पर संज्ञान लेते हुए डी एफ ओ को कर्रवाई हेतु कहा गया
वन विभाग नें ट्रस्ट के सी सी टीवी की फुटेज को ले लिया है, और आगे कि कर्यवाही कर रहा है!
सी सी टीवी मेँ देर रात वी आई पी गेट के पास एक आदमी बाइक पर आकर रुकता दिखा, फोन निकाल कर कॉल किया तो मंदिर के भीतर से कोई परछाई आ कर भीतर से दरवाजा खोलता है, उसके बिल्कुल बाद एक बाइक पर दो लोग आते हैँ और जाल लेकर भीतर पैदल प्रवेश करते हैं
मगर विक्रम इस कहानी मेँ बहुत सारे झोल हैं, मेरे दिमाग़ मेँ बहुत से अनुत्तरीत सवाल हैं, तू उन्हें सुन और गुन –
1 मंदिर ट्रस्ट नें इस घटना की जानकारी वन विभाग के साथ थाने को क्यों नहीं दी?
2 घटना के तुरंत बाद जब कुछ लोगो नें सी सी फुटेज के विषय मेँ पूछा तो मंदिर ट्रस्ट के द्वारा सी सी टीवी रात्रि दस के बाद बंद कर देने की बात क्यों कही गई?
3 रात्रि दस बजे के बाद सारे द्वार बंद होने के बाद मंदिर के भीतर पहरेदारी करने वाले नगर सैनिक किसके कहने पर वी आई पी गेट का दरवाजा तीन लोगों के लिए खोलता है?
4 बाईक मेँ आने वाले वो तीन लोग कौन हैँ? जो सी सी टीवी मेँ दो बोरियों मेँ कुछ भर कर वापस जाते भी दिखाई दे रहें हैं?
5 उन तीन लोगों मेँ से एक मंदिर ट्रस्ट कार्यालय मेँ दिखने वाला, ट्रस्ट के क़ृषि कार्यों का ठेकेदार व्यक्ति क्या ट्रस्ट की सहमति से उस दिन कुंड मेँ जाल डालने आया था?
6 इस घटना मेँ मंदिर ट्रस्ट की भूमिका संदिग्ध क्यों है?
7 कुंड कछुओं का प्राकृतिक आवास नहीं है, वहाँ चारो ओर पत्थर और सीमेंट की चार दीवारी के बीच बड़े बड़े सीढ़ियों को पार कर ना तो कछुआ स्वयं कुंड मेँ आ सकता और ना ही बाहर जा सकता, जबकि प्रजनन काल मेँ मादा कछुआ हमेशा पानी से बाहर अंडे देती है ऐसे मेँ वो इस कुंड मेँ कैसे अंडा देगी?
कछुओं के इस कृतिम जेल मेँ कछुओं को कौन इस कुंड मेँ छोड़ने का अपराधी कौन है?
8 मंदिर ट्रस्ट और वन विभाग नें इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
9 इस पूरी घटना पर वन विभाग किसे दोषी मनाता है? क्या वो कुंड मेँ कछुओ के रहवास और मृत्यु के लिए मंदिर ट्रस्ट को दोषी मान कर कार्यवाही करेगा?
विक्रम ख़ामोशी से सब सुनता रहा और बोला -देख विक्रम ये घटना मुझे पूर्व नियोजित लग रही है, तीन अज्ञात लोगों का वी आई पी गेट खुलवा कर भीतर आना, और आसानी से बाहर जाना बताता है कि वो चोर नहीं थे बल्कि मंदिर ट्रस्ट की भिज्ञता मेँ पूर्व से तय कार्य को पूर्ण करने आये थे, कुंड से मछली पकड़ने के लिए जाल मेँ मछली के साथ कछुए भी फंस गए और कुछ मर भी गए!
इसलिए मुझे लगता है कि मंदिर ट्रस्ट और वो तीन लोग सीधे दोषी हैँ वहीँ कुंड मेँ कछुओ को डालने वाले लोग भी इस मेँ जाने अनजाने रूप से जिम्मेदार हैँ!
लीपापोती के इस दौर मेँ वन विभाग इस पर कितनी सख्त रिपोर्ट बनाता है या संलिप्त लोगों पर बड़ी कर्यवाही कर पाता है ये भविष्य के गर्भ मेँ है
बेताल जवाब सुनकर हँसा और बोला, तू क्यों बोला विक्रम? तू बोला मैं चला कहते हुए विक्रम की पीठ से उड़ कर चला गया!