
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के लोफंदी गांव में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2 लोग गंभीर हालत में सिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। इस घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है, वहीं प्रशासन और पुलिस विभाग पर मामले को दबाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
मृतकों के नाम
- बबुआ देवांगन
- दल्लू पटेल
- रामू राम सुनहले
- कोमल लहरे
- कन्हैया पटेल
- बलदेव पटेल
- कुल्लू देवांगन
ग्रामीणों का आरोप है कि ये सभी लोग अवैध महुआ शराब पीने की वजह से मारे गए हैं। हालांकि, पुलिस ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह साफ होगी।
कोनी पुलिस पर शराब माफियाओं को बचाने के आरोप
गांववालों का कहना है कि कोनी थाना पुलिस की मिलीभगत से इलाके में अवैध और जहरीली शराब खुलेआम बेची जाती है। ग्रामीणों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती, बल्कि शराब बेचने वालों को पैसे लेकर छोड़ दिया जाता है।
प्रमुख आरोप
- कोनी थाना क्षेत्र में ढाबों और होटलों पर देर रात तक शराब परोसी जाती है।
- पुलिस अवैध शराब विक्रेताओं से रिश्वत लेकर उन्हें बचाती है।
- इस घटना की जानकारी पुलिस को तीन दिन बाद मिली, जो लापरवाही दर्शाती है।
इस मामले में जब कोनी थाने के प्रभारी नवीन देवांगन से सवाल किए गए, तो उन्होंने कोई जवाब देने से इंकार कर दिया।
कांग्रेसी नेता विजय केसरवानी पहुंचे गांव, प्रशासन को घेरा
घटना के बाद कांग्रेसी नेता विजय केसरवानी पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे और प्रशासन पर मामले को दबाने के आरोप लगाए। उन्होंने मृतकों के परिवारों की आर्थिक मदद करने का वादा किया और एक मृतक की बेटी की शिक्षा का खर्च उठाने की घोषणा की।
उन्होंने कहा,
“यह प्रशासन की घोर लापरवाही है। अगर पहले ही कार्रवाई की जाती तो इतनी मौतें नहीं होतीं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
प्रशासन पर आंकड़े छिपाने का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन मौत के सही आंकड़े छिपाने की कोशिश कर रहा है। शुरुआत में बीमारी का कारण शादी में खाना खाने को बताया गया, लेकिन बाद में पता चला कि ये मौतें महुआ शराब पीने की वजह से हुईं।
ग्रामीणों की मांग
✅ अवैध शराब बिक्री पर सख्त कार्रवाई हो
✅ दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए
✅ मृतकों के परिवारों को मुआवजा मिले
✅ गांव में अवैध शराब की बिक्री बंद करवाई जाए
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है या फिर हमेशा की तरह यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।